
उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी अब रफ्तार पकड़ चुकी है। इसी कड़ी में शनिवार से ग्राम पंचायतों के परिसीमन की प्रक्रिया की शुरुआत हो गई है। सरकार ने इस संबंध में विस्तृत कार्यक्रम जारी कर दिया है, जिसका पालन सभी जिलों को हर हाल में करना होगा।
28 जून से जनसंख्या निर्धारण, 14 जुलाई तक अंतिम सूची
परिसीमन प्रक्रिया के तहत सबसे पहले 28 जून से 30 जून तक ग्राम पंचायतवार जनसंख्या का निर्धारण किया जाएगा। इसके बाद 1 जुलाई से 3 जुलाई तक ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के प्रस्तावित वार्डों की सूची तैयार कर प्रकाशित की जाएगी।
4 जुलाई से 8 जुलाई तक आपत्तियां ली जाएंगी, और 9 जुलाई से 11 जुलाई के बीच इन आपत्तियों का निस्तारण होगा। अंतिम रूप से संशोधित सूची का प्रकाशन 12 से 14 जुलाई के बीच होगा। सभी जिलाधिकारियों को 16 जुलाई तक यह सूची पंचायतीराज निदेशालय को भेजनी होगी।
2026 चुनाव के मद्देनजर सख्त समयसीमा
शासनादेश में यह स्पष्ट किया गया है कि यह प्रक्रिया 2026 में प्रस्तावित पंचायत चुनाव को ध्यान में रखते हुए कराई जा रही है, इसलिए तय की गई समयसीमा का कड़ाई से पालन किया जाना अनिवार्य है। ऐसे जिले जहां नगर निकायों के सृजन या सीमा विस्तार से कोई बदलाव नहीं हुआ है, उन्हें भी इसकी सूचना शासन को देनी होगी।
नगर निकाय विस्तार से प्रभावित होंगी कई पंचायतें
पंचायत चुनाव 2021 के बाद कई जिलों में नई नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद और नगर निगम गठित किए गए हैं या पुराने निकायों का सीमा विस्तार हुआ है। इसका सीधा असर ग्राम पंचायतों की संरचना पर पड़ा है। कई पंचायतों की जनसंख्या 1000 से कम हो गई है, जो पंचायत क्षेत्र घोषित करने के लिए जरूरी न्यूनतम मानक है।
ऐसे होगा पंचायतों का पुनर्गठन
- जिन ग्राम पंचायतों का कोई राजस्व ग्राम नगरीय निकाय में शामिल हो गया है और वे अब पंचायत के मानकों को पूरा नहीं करतीं, उन्हें नजदीकी ग्राम पंचायत में विलय किया जाएगा।
- यदि कोई शेष राजस्व ग्राम मानक पूरा करता है, तो उसे अलग ग्राम पंचायत घोषित किया जा सकता है।
- एकल राजस्व ग्राम वाली पंचायत, अगर आंशिक रूप से प्रभावित है लेकिन उसकी जनसंख्या अब भी 1000 या उससे अधिक है, तो वह यथावत बनी रहेगी।
- शहरी सीमा में जो पंचायतें पूरी तरह शामिल हो गई हैं, उन्हें हटा दिया जाएगा।