
उत्तर प्रदेश के निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (Private ITI) की हालत चिंताजनक होती जा रही है। राज्यभर के 456 निजी ITI संस्थानों में तीन सालों से कई प्रमुख कोर्सेज में एक भी छात्र का दाखिला नहीं हुआ है। अब प्रशिक्षण महानिदेशालय (DGT) ने इन संस्थानों में सत्र 2025-26 से इन कोर्सेज में प्रवेश पर रोक लगाने और उनकी मान्यता रद्द करने की तैयारी कर ली है।
लगातार घटता दाखिला, खत्म हो रही मान्यता
DGT के उपमहानिदेशक ईश्वर सिंह के अनुसार, सत्र 2022 से 2024 के दौरान प्रदेश के कई निजी ITI में इलेक्ट्रीशियन, फिटर, वेल्डर, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर ऑपरेटर (COPA), स्विंग टेक्नोलॉजी, और ब्यूटीशियन जैसे कोर्सेज में एक भी छात्र का नामांकन नहीं हुआ। हर कोर्स में औसतन 30-34 सीटें थीं, लेकिन तीन साल से लगातार शून्य प्रवेश की स्थिति बनी रही।
अब निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर संबंधित कोर्सेज को बंद करने की कार्रवाई की जा रही है। इससे स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि इन संस्थानों में बुनियादी ढांचे की भारी कमी है।
किन जिलों में सबसे बुरी स्थिति?
राज्य के कई प्रमुख मंडलों और जिलों में निजी ITI संस्थानों की स्थिति बेहद खराब बताई गई है, जिनमें शामिल हैं:
- लखनऊ
- वाराणसी
- आजमगढ़
- आगरा
- कानपुर
- गाजियाबाद
इन क्षेत्रों में संचालित अधिकांश निजी संस्थानों में न वर्कशॉप हैं, न जरूरी उपकरण, और न ही योग्य प्रशिक्षक। छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण देने का कोई उपयुक्त ढांचा नहीं है।
निजी ITI में दाखिला क्यों नहीं ले रहे छात्र?
- फीस ज्यादा, सुविधाएं कम: सरकारी ITI के मुकाबले निजी संस्थानों में फीस काफी अधिक है, जबकि सुविधाएं नाम मात्र की हैं।
- प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के लिए संसाधनों की कमी: प्रयोगशालाएं अधूरी हैं, जरूरी मशीनें या उपकरण तक नहीं हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित संस्थान: अधिकतर फेल हो रहे ITI ग्रामीण इलाकों में हैं, जहां रोजगार के अवसर या इंडस्ट्री कनेक्शन सीमित हैं।
- न्यूनतम इन्फ्रास्ट्रक्चर और रुचि की कमी: कई संस्थानों ने प्रचार-प्रसार भी किया लेकिन दाखिले की संख्या में कोई सुधार नहीं हुआ।
क्या होगा आगे?
DGT ने स्पष्ट कर दिया है कि जिन संस्थानों में लगातार तीन वर्षों से दाखिला नहीं हुआ है, वहां अब सत्र 2025-26 से संबंधित कोर्सेज में प्रवेश नहीं लिए जाएंगे। साथ ही, इन कोर्सेज की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है।