
उत्तर प्रदेश के सरकारी माध्यमिक विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था और संसाधनों की गुणवत्ता अब ग्रेडिंग के जरिए तय की जाएगी। शिक्षा विभाग ने राज्य के 2295 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के लिए एक नया मूल्यांकन तंत्र लागू किया है, जिसके तहत कक्षाएं, प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय, स्मार्ट क्लास, शिक्षक उपस्थिति और अन्य सुविधाएं आधार बनेंगी।
क्यों हो रही है ग्रेडिंग?
इस पहल का उद्देश्य सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता और आधारभूत संसाधनों की उपलब्धता में सुधार लाना है। कई योजनाएं जैसे ऑपरेशन कायाकल्प, प्रोजेक्ट अलंकार और PPP मॉडल पहले से ही चल रही हैं, लेकिन अब जमीनी हकीकत परखने और खामियों को दूर करने के लिए ग्रेडिंग सिस्टम को अपनाया गया है।
किन बिंदुओं पर होगा मूल्यांकन?
विद्यालयों की ग्रेडिंग निम्नलिखित बिंदुओं पर की जाएगी:
- कक्षाओं की स्थिति
- पुस्तकालय, प्रयोगशाला और आर्ट रूम की उपलब्धता
- स्मार्ट क्लास और ICT लैब
- कंप्यूटर कक्ष और वाई-फाई कनेक्टिविटी
- बिजली कनेक्शन
- शिक्षक और छात्रों की उपस्थिति
- पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाई की स्थिति
- प्रशासनिक कार्यों की दक्षता
कहां और कैसे भरनी है जानकारी?
सभी राजकीय माध्यमिक विद्यालयों को schoolgradingmad-hyamikshiksha.in वेबसाइट पर अप्रैल से जून 2025 तक की रिपोर्ट अपलोड करनी होगी। इसमें प्रत्येक विद्यालय के प्रधानाचार्य या प्रधानाध्यापक को अपने स्कूल की सुविधाओं और गतिविधियों से जुड़ी जानकारी ऑनलाइन भरनी है।
यह है पूरा शेड्यूल:
- 8 जुलाई 2025: प्रधानाचार्य ऑनलाइन जानकारी भरकर DIOS को भेजेंगे।
- 12 जुलाई 2025: DIOS रिपोर्ट को सत्यापित कर 5% स्कूलों का भौतिक निरीक्षण कर रिपोर्ट मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक को देंगे।
- 15 जुलाई 2025: मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक कम से कम 5 विद्यालयों का निरीक्षण कर रिपोर्ट राज्य मुख्यालय भेजेंगे।
- इसके बाद राज्य स्तर पर अंतिम ग्रेडिंग सूची जारी की जाएगी।
कैसे होगी ग्रेडिंग?
विद्यालयों को कुल 200 अंकों के आधार पर मूल्यांकित किया जाएगा:
अंक प्रतिशत | ग्रेडिंग स्तर |
---|---|
80% और उससे ऊपर | उत्कृष्ट |
60% – 80% | बहुत अच्छा |
40% – 60% | अच्छा |
20% – 40% | संतोषजनक |
20% से कम | असंतोषजनक |
उद्देश्य क्या है?
इस ग्रेडिंग प्रणाली के माध्यम से शिक्षा विभाग:
- कमियों की पहचान कर उन्हें समय रहते दूर करेगा
- जरूरतमंद स्कूलों को प्राथमिकता के आधार पर संसाधन प्रदान करेगा
- विद्यालयों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा
- भविष्य में नीति निर्माण के लिए आंकड़ों का उपयोग कर पाएगा
उत्तर प्रदेश में सरकारी माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक बनाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। अब स्कूलों की ग्रेडिंग उनके संसाधनों, पढ़ाई की गुणवत्ता और प्रशासनिक दक्षता के आधार पर तय होगी। यह पहल राज्य की शिक्षा व्यवस्था को नए स्तर पर ले जाने की क्षमता रखती है।