यूपी के सरकारी टीचर्स को चुनावी ड्यूटी से मिलेगी राहत, हाईकोर्ट का अहम फैसला

लखनऊ डेस्क: झांसी में एक स्कूल के सहायक अध्यापक सूर्य प्रताप ने बूथ स्तर के अधिकारी के रूप में चुनावी ड्यूटी पर लगाए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि अध्यापकों को बूथ स्तर के अधिकारी के रूप में तैनात करने की आवश्यकता नहीं है और उन्हें चुनावी ड्यूटी पर नहीं भेजा जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि अन्य कर्मचारियों की उपलब्धता न हो, तभी अध्यापकों को चुनावी ड्यूटी पर तैनात किया जा सकता है।

हाईकोर्ट न्यायमूर्ति अजय भनोट ने इस फैसले में कहा कि चुनावी ड्यूटी के लिए अध्यापकों की तैनाती “कम से कम” होनी चाहिए और इसके लिए निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए।

झांसी जिले के एक प्राथमिक विद्यालय के सहायक अध्यापक सूर्य प्रताप ने अपनी याचिका में यह आरोप लगाया था कि उन्हें बूथ स्तर के अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था और मतदाता सूची में संशोधन जैसी जिम्मेदारियाँ दी गई थीं। इसके बाद हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों पर विचार करते हुए कहा कि ये दिशानिर्देश समाज में अध्यापकों की भूमिका और लोकतंत्र में चुनावी कार्य की आवश्यकता के बीच संतुलन बनाने के उद्देश्य से हैं।

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि ये दिशानिर्देश साफ तौर पर आदेशित करते हैं कि अध्यापकों को चुनावी ड्यूटी पर तभी तैनात किया जाएगा जब सभी अन्य वर्गों के कर्मचारियों की तैनाती पूरी हो चुकी हो। न्यायमूर्ति भनोट ने कहा कि राज्य अधिकारियों को अध्यापकों के व्यक्तिगत समय में अव्यवस्थित तरीके से हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और जब तक अन्य विकल्पों का पूरी तरह से उपयोग न कर लिया जाए, तब तक अध्यापकों को उनके आत्मचिंतन के समय से नहीं हटाया जाना चाहिए।

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