UP सरकार के अधिकारियों पर निजीकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने का आरोप : विद्युत कर्मचारियों ने किया विरोध

मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि एक कंसलटेंट द्वारा झूठा शपथ पत्र देने के बावजूद यूपी शासन के उच्च अधिकारियों ने उसकी नियुक्ति रद्द करने के बजाय उसे बचाने में लगे हुए हैं। समिति ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश शासन के अधिकारी कंसलटेंट के साथ मीटिंग कर रहे हैं और निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए आदेश दे रहे हैं। समिति के नेताओं ने कहा कि यह गंभीर स्थिति है, क्योंकि तीन सप्ताह पहले कंसलटेंट द्वारा दिए गए झूठे शपथ पत्र को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

समिति ने आरोप लगाया कि इस कंसलटेंट ने ग्रांट थॉर्टन के नाम से ट्रांजैक्शन कंसलटेंट के रूप में कार्य किया और इसके द्वारा दिए गए झूठे शपथ पत्र की जांच करने के बावजूद अब तक इसे ब्लैकलिस्ट नहीं किया गया है। इसके विपरीत, इस कंसलटेंट से पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 42 जनपदों के निजीकरण के आरएफपी डॉक्यूमेंट तैयार कराए गए हैं।

कांग्रेस और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ आरोप: संघर्ष समिति ने उत्तर प्रदेश शासन, ऊर्जा विभाग और पावर कारपोरेशन के शीर्ष अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि वे निजी घरानों के साथ मिलीभगत कर रहे हैं। समिति ने यह भी कहा कि यह सब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति की धज्जियां उड़ा रहा है।

मई दिवस पर बाइक रैली का आयोजन: संघर्ष समिति ने सभी जनपदों और परियोजनाओं को निर्देश दिया है कि वे मई दिवस के मौके पर होने वाली बाइक रैली को सफल बनाने के लिए व्यापक जनसंपर्क करें। इसके अलावा, समिति ने चेतावनी दी है कि यदि निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो अगले महीने से आंदोलन प्रारंभ किया जाएगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार और प्रबंधन की होगी।

राजनीतिक नेताओं से ज्ञापन: आज प्रदेश के विभिन्न जनपदों में कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी, सांसद आरके चौधरी, सांसद रामप्रसाद चौधरी, सांसद सीमा द्विवेदी समेत एक दर्जन से अधिक विधायकों को निजीकरण के विरोध में ज्ञापन दिए गए। इनमें कप्तानगंज के विधायक कवींद्र चौधरी, महादेवा के विधायक दूध राम, छानबे की विधायक रिंकी कोल, मुंगरा बादशाहपुर के विधायक पंकज पटेल, शाहगंज के विधायक रजनीश सिंह और अन्य कई विधायकों को ज्ञापन दिया गया।

समिति ने कहा कि अगर सरकार और प्रबंधन ने निजीकरण के निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया, तो आगामी दिनों में और बड़े आंदोलन की चेतावनी दी गई है।

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