UP: दरोगा भर्ती के अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, अभ्यर्थन निरस्त करने का आदेश रद्द, यूपी सरकार को झटका

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दरोगा भर्ती 2021 से बाहर किए गए अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है। अदालत ने राज्य सरकार के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसके तहत सैकड़ों अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया था। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि तीन माह के भीतर बाहर किए गए सभी अभ्यर्थियों की भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाए।

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि यह आदेश केवल याचिकाकर्ताओं तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उन सभी अभ्यर्थियों पर लागू होगा जिनका मामला समान है, भले ही उन्होंने कोर्ट में याचिका दाखिल न की हो। इस फैसले से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है।

प्रयागराज, फतेहपुर, गौतमबुद्धनगर, वाराणसी, मिर्जापुर, मेरठ, बरेली, फिरोजाबाद, आगरा, गोरखपुर, गाजियाबाद, कानपुर नगर, मुजफ्फरनगर, झांसी, बस्ती और अलीगढ़ समेत कई जिलों के अभ्यर्थियों ने इस आदेश को चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल तिवारी, विजय गौतम और अधिवक्ता अतिप्रिया गौतम की दलीलें सुनने के बाद की।

दरअसल, उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने 24 फरवरी 2021 को 9027 पुलिस उपनिरीक्षक पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसमें लिखित परीक्षा, अभिलेख सत्यापन, शारीरिक मानक परीक्षा, शारीरिक दक्षता परीक्षा और चिकित्सा परीक्षा अनिवार्य थीं। याचिकाकर्ता सभी उम्मीदवार लिखित परीक्षा में सफल हुए और कटऑफ से अधिक अंक प्राप्त किए थे।

लेकिन 7 मई 2022 को शारीरिक परीक्षण के दौरान कई अभ्यर्थियों के खिलाफ धारा 420, 120बी आईपीसी, सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम 1998 और आईटी एक्ट की धाराओं में एफआईआर दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया। कई उम्मीदवार डर की वजह से शारीरिक परीक्षा दिए बिना ही केंद्र छोड़कर चले गए।

याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि राज्य सरकार ने पूरी भर्ती प्रक्रिया को नियम-कानून की अनदेखी करते हुए चलाया। अभ्यर्थियों को बिना सुनवाई का मौका दिए सीधे परीक्षा से बाहर कर दिया गया और गैरकानूनी तरीके से जेल भेजा गया। हाईकोर्ट ने इन तर्कों को स्वीकार कर राज्य सरकार को तीन महीने के भीतर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है।

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