
उत्तर प्रदेश सरकार ने विधायक वाहनों पर लगे मौजूदा पास को अप्रैल के अंत तक रद्द करने का बड़ा निर्णय लिया है। अब केवल RFID (Radio Frequency Identification) तकनीक से लैस नए पास जारी किए जाएंगे। हर विधायक को सिर्फ दो पास मिलेंगे, जबकि पूर्व विधायकों के पासों को रद्द कर दिया जाएगा। इसका उद्देश्य सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना और वीआईपी कल्चर पर नियंत्रण पाना है।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- अप्रैल के अंत तक सभी मौजूदा पास रद्द कर दिए जाएंगे।
- केवल RFID पास ही मान्य होंगे।
- हर विधायक को दो पास दिए जाएंगे।
- पूर्व विधायकों और अनधिकृत वाहनों के पास रद्द कर दिए जाएंगे।
नया बदलाव: वर्तमान में, विधायकों और पूर्व विधायकों के वाहनों पर विशेष पास होते हैं, जिससे बिना किसी जांच के वे सरकारी दफ्तरों और विधानसभा में प्रवेश कर लेते हैं। अब सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए यह निर्णय लिया है:
- हर विधायक को केवल दो पास दिए जाएंगे।
- पूर्व विधायकों के पास रद्द कर दिए जाएंगे।
- अप्रैल के अंत तक सभी मौजूदा पास अमान्य हो जाएंगे।
- अब केवल RFID तकनीक से लैस पास जारी किए जाएंगे, जिनकी प्रमाणिकता स्कैनर द्वारा जांची जाएगी।
यह फैसला क्यों लिया गया? उत्तर प्रदेश में फर्जी पास के इस्तेमाल और वीआईपी कल्चर के बढ़ते दुरुपयोग को देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है। विधानसभा और अन्य सरकारी भवनों में बिना अनुमति गाड़ियां प्रवेश कर जाती हैं, जिससे सुरक्षा को लेकर चिंताएं उठती रहती थीं।
RFID पास कैसे काम करेगा? RFID पास एक डिजिटल पास होगा, जिसमें विधायक और उनके वाहन की पूरी जानकारी एम्बेडेड होगी। इस पास को स्कैन करके उसकी प्रमाणिकता चेक की जाएगी, जिससे फर्जी पास और अनधिकृत वाहनों पर रोक लगाई जा सकेगी। यह पास केवल अधिकृत वाहनों के लिए होगा, जिससे सुरक्षा मानकों में सुधार होगा।
फर्जी पास धारकों पर प्रभाव: इस नए नियम के तहत उन लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जो विधायकों के नाम पर अनधिकृत पास हासिल करके सरकारी भवनों और सुरक्षित क्षेत्रों में प्रवेश कर रहे थे। अब बिना प्रमाणिक पास के कोई भी वाहन सरकारी परिसरों में प्रवेश नहीं कर सकेगा।
विधायकों की प्रतिक्रिया: इस फैसले पर विधायकों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कुछ विधायकों ने इसे सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक अच्छा कदम बताया, जबकि कुछ का कहना है कि सिर्फ दो पास पर्याप्त नहीं होंगे।












