मनरेगा कानून बहाल करने को लेकर संयुक्त वाम दलों का प्रदर्शन, राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा

  • केंद्र ने मनरेगा अधिनियम में परिवर्तन करके 40% का बोझ राज्य सरकारों पर डाला

लखनऊ। वाम दलों के संयुक्त आह्वान पर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में मनरेगा में परिवर्तन के विरोध में वाम दलों के कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन करके जिला प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भेजा। आज के प्रदर्शन का आयोजन संयुक्त रूप से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) लिबरेशन, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक जैसी वाम पार्टियों ने किया।

सभी पार्टियों ने जोर देकर कहा गया कि सरकार की कुटिल नीति का पूरे प्रदेश में संयुक्त रूप से विरोध किया गया है और सरकार से परिवर्तित कानून को निरस्त करने की मांग के साथ पुराने कानून को बहाल करने की मांग की गई है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कैसरबाग लखनऊ कार्यालय जारी एक बयान में पार्टी के राज्य सचिव कामरेड अरविन्द राज स्वरूप ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि आज वामपंथी दलों के संयुक्त आह्वान पर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में मनरेगा में परिवर्तन के विरोध में वाम दलों के कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन करके राष्ट्रपति महोदया को जिला प्रशासन के माध्यम से ज्ञापन भेजा है।

ज्ञापन में कहा गया कि मनरेगा अधिनियम के अन्तर्गत हर ग्राम पंचायत के श्रमिकों को 100 दिन के काम की गारंटी का अधिकार प्राप्त था । जिसके बजट में केंद्र सरकार द्वारा 90% और राज्य सरकारों को 10% बजट देना होता था। उसके बाद भी मनरेगा के द्वारा मात्र 45 दिनों का काम ग्रामीण श्रमिको को मिल पाता था ।

बयान में कहा गया कि मौजूदा केंद्र सरकार ने मनरेगा अधिनियम में परिवर्तन करके केंद्र का हिस्सा कम करके 40% का बोझ राज्य सरकारों पर डाल दिया है तथा काम की गारंटी का कोई वादा नहीं किया है। धान और गेहूं की कटाई पर काम पर रोक लगाने की युक्ति भी प्रस्तावित कानून में निकाल ली गई है।
कानून में ऐसे परिवर्तन कर दिए गए हैं कि कानून का कुछ दिन में अपने आप ही गला घुट जाएगा।
इतना ही नहीं केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने देश की आजादी के महानायक महात्मा गांधी का नाम हटाकर बीवी राम जी नाम करके जनता की आंख में धूल झोंकने का भी कार्य किया है।

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