
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने “दलहन आत्मनिर्भरता मिशन” को मंज़ूरी दे दी। इसका उद्देश्य घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और दालों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है।
केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पत्रकार वार्ता में बताया कि यह मिशन 2025-26 से 2030-31 तक छह वर्षों की अवधि में 11,440 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ क्रियान्वित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि
भारत की फसल प्रणालियों और आहार में दालों का विशेष महत्व है। देश दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक और उपभोक्ता है। बढ़ती आय और जीवन स्तर के साथ दालों की खपत में वृद्धि हुई है, लेकिन घरेलू उत्पादन, मांग के अनुरूप नहीं रहा है जिसके कारण दालों के आयात में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
उन्हाेंने कहा, “आयात निर्भरता को कम करने, बढ़ती मांग को पूरा करने, अधिकतम उत्पादन करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में छह-वर्षीय दलहन आत्मनिर्भरता मिशन की घोषणा की गई थी। यह मिशन अनुसंधान, बीज प्रणालियों, क्षेत्र विस्तार, खरीद और मूल्य स्थिरता को शामिल करते हुए एक व्यापक रणनीति अपनाएगा।”
उन्होंने कहा कि मिशन के तहत
दालों की नवीनतम किस्मों के विकास और प्रसार पर ज़ोर दिया जाएगा जो उच्च उत्पादकता वाली, कीट-प्रतिरोधी और जलवायु-प्रतिरोधी हों। क्षेत्रीय उपयुक्तता सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख दलहन उत्पादक राज्यों में बहु-स्थानीय परीक्षण किए जाएंगे।
इसके अतिरिक्त राज्य उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पंचवर्षीय चक्रीय बीज उत्पादन योजनाएं तैयार करेंगे। उन्नत किस्मों को व्यापक रूप से उपलब्ध कराने के लिए, 2030-31 तक 370 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हुए दलहन उत्पादक किसानों को 126 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज वितरित किए जाएंगे।
मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम, कृषि यंत्रीकरण पर उप-मिशन, संतुलित उर्वरक उपयोग, पौध संरक्षण और सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधार परिषद, केवीके और राज्य विभागों के व्यापक प्रदर्शनों के समन्वय से इसे पूरक बनाया जाएगा।
मिशन का उद्देश्य चावल की परती भूमि और अन्य विविधीकरण योग्य भूमि को लक्षित करके दलहन के अंतर्गत अतिरिक्त 35 लाख हेक्टेयर क्षेत्र का विस्तार करना है, जिसका समर्थन अंतर-फसलीय खेती और फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के जरिये किया जाएगा। इसके लिए किसानों को 88 लाख बीज किट निःशुल्क वितरित किए जाएंगे।
स्थायी तकनीकों और आधुनिक प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए संरचित प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों और बीज उत्पादकों का क्षमता निर्माण किया जाएगा।
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