
काठमांडू, एजेंसी। नेपाल में जेन-जेड विद्रोह के बाद राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। सेना ने स्थिति संभालने की कोशिश की है लेकिन हालात अभी भी बेकाबू है। बुधवार को कई जगह आगजनी की घटनाएं हुई और सरकारी संपत्तियों को फूंका गया। तीन दिनों से हिंसक प्रदर्शन के बीच तेरह हजार से ज्यादा कैदी फरार हो गए हैं। इनके भारत में घुसने की आशंका है। उप्र सरकार ने सीमावर्ती जिलों मंे चौकसी कड़ी कर दी है और धरपकड़ जारी है।
नेपाल में हिरासत में लिए गए 560 आरोपी भी फरार हैं। पश्चिमी नेपाल की एक जेल में सुरक्षाकर्मियों और कैदियों के बीच झड़प में पुलिस की गोलीबारी से 5 नाबालिग कैदियों की मौत हो गई है। उधर, विरोध प्रदर्शनों के दौरान घायलों की संख्या 1,033 तक पहुंच गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 713 लोगों को अस्पतालों से छुट्टी मिल चुकी है। मृतकों की संख्या 30 हो गई है। कुल 55 लोगोंं को अस्पतालों में रेफर किया गया है, 253 नए मरीज भर्ती हुए हैं। हिंसा से जल रहे नेपाल के हालात सुधारने के लिए सेना ने शाम 5 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लगाने का ऐलान किया है।
ओली का लिखित बयान देर शाम ओली ने लिखित बयान जारी किया। पूर्व पीएम ओली ने पुलिस फायरिंग में मारे गए युवाओं को श्रद्धांजलि दी। आरोप लगाया कि मौजूदा आंदोलनों के पीछे की ताकतें युवाओं को विनाशकारी गतिविधियों के लिए भटका रही हैं और सरकारी दफ्तरों में आगजनी की घटनाएं सुनियोजित राजनीति का हिस्सा हैं।
नेपाल आर्मी ने नागरिकों से अपील की है कि वे अपने पास मौजूद अनाधिकृत हथियार और गोलाबारूद सुरक्षा कर्मियों के पास सरेंडर कर दें।
आर्मी ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा, इन हथियारों का दुरुपयोग हो सकता है और इससे जान-माल की हानि हो सकती है, इसलिए जिन लोगों को भी इसकी जानकारी मिले, उनसे अनुरोध है कि वे सुरक्षा एजेंसी को सूचित करें और संबंधित लोगों को हथियार सौंपने के लिए प्रोत्साहित करें।