Ujjain: महाकाल मंदिर के सुरक्षाकर्मियों ने किया प्रदर्शन, प्रशासन से मांगा समाधान

महाकाल मंदिर में तैनात निजी सुरक्षा कर्मियों ने आज महाकाल लोक में एक बड़ा प्रदर्शन किया, जहां उन्होंने अपनी समस्याओं और उत्पीड़न के बारे में मीडिया से बात की। सुरक्षा कर्मियों का आरोप है कि उन्हें उनकी निर्धारित सैलरी नहीं दी जा रही और उन्हें काम करने के दौरान उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। यह प्रदर्शन सुरक्षा कर्मचारियों की ओर से महाकाल मंदिर प्रबंधन और क्रिस्टल इंटीग्रेटेड सर्विसेज लिमिटेड के अधिकारियों के खिलाफ किया गया।

सैलरी में कटौती और उत्पीड़न का आरोप: महाकाल मंदिर में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने कहा कि उन्हें महज 8400 रुपये मासिक सैलरी मिलती है, लेकिन हर महीने सैलरी मिलने के बाद यह घटकर 5,000 से 6,000 रुपये रह जाती है। इस बारे में सुरक्षाकर्मी बार-बार शिकायत करते हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। उनका यह भी कहना है कि वे समय पर ड्यूटी पर पहुंचने के बावजूद बायोमैट्रिक मशीन से अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करवा पाते और न ही रजिस्टर में साइन करने दिया जाता है। इसके बावजूद उन्हें गैरहाजिर कर दिया जाता है।

अधिकारियों द्वारा अपमान और धमकियां: सुरक्षाकर्मियों ने यह भी आरोप लगाया कि क्रिस्टल इंटीग्रेटेड सर्विसेज लिमिटेड के एसओ विष्णु चौहान, सुरक्षा प्रभारी हेमलता पाटीदार, संजय सिसोदिया और भगवान सिंह उनके साथ अभद्रता करते हैं। जब भी कोई सुरक्षाकर्मी अपनी समस्याओं के बारे में शिकायत करता है, तो इन अधिकारियों द्वारा उसे कूड़ा-कचरा कहकर नौकरी से बाहर निकालने की धमकी दी जाती है।

कलेक्टर और एसपी से शिकायत: सुरक्षाकर्मियों ने अपनी समस्याओं को लेकर कलेक्टर नीरज कुमार सिंह और एसपी प्रदीप शर्मा से शिकायत की है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है और प्रशासनिक अधिकारियों से उचित सुनवाई नहीं मिल रही है। कलेक्टर को दी गई शिकायत में यह भी कहा गया है कि सुरक्षा कर्मियों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है और उत्पीड़न का शिकार बनाया जा रहा है।

आगे की कार्रवाई की चेतावनी: सुरक्षाकर्मियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो वे कुछ गलत कदम उठा सकते हैं। उनका कहना है कि वे अपनी नौकरी से नहीं हटना चाहते, लेकिन अगर उत्पीड़न और वेतन में कटौती का सिलसिला जारी रहा तो उन्हें कोई भी कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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