12 साल से जेल में बंद हत्या के दो आरोपियों को कलकत्ता हाईकोर्ट से ज़मानत

कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट ने हत्या के एक मामले में पिछले 12 वर्षों से जेल में बंद दो विचाराधीन आरोपितों को ज़मानत दे दी है। न्यायमूर्ति शुभ्र घोष ने अपने आदेश में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 — जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार — का हवाला देते हुए कहा कि ट्रायल में अत्यधिक देरी के कारण यह ज़मानत दी जा रही है।

मुन्ना धाली और नबू धाली नामक इन दोनों आरोपितों पर वर्ष 2012 में दक्षिण 24 परगना ज़िले के ठाकुरपुकुर थाना क्षेत्र में चार लोगों की हत्या करने का आरोप है। मृतकों में उनके नियोक्ता और स्थानीय केबल टीवी व्यवसायी दीपक भट्टाचार्य, उनकी मां और दो घरेलू सहायिकाएं शामिल थीं। यह घटना छह सितंबर 2012 को बिरेन रॉय रोड स्थित उनके निवास पर घटी थी। चारों आरोपितों को नौ सितंबर 2012 को गिरफ्तार किया गया था।

इस मामले में एक अन्य आरोपित राजेश दास को पहले ही इसी आधार पर ज़मानत मिल चुकी है, जबकि चौंथे आरोपित सत्तार मंडल की ज़मानत याचिका गंभीर आरोप और के कारण नामंजूर कर दी गई थी।

न्यायमूर्ति घोष ने अपने 15 मई को दिए गए आदेश में कहा कि “मामले के गुण-दोष पर बिना विचार किए, केवल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के आलोक में ज़मानत याचिका को स्वीकार किया जाता है।”

अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि अभियोजन पक्ष ने 24 फरवरी 2025 को यह आश्वासन दिया था कि अगले दो महीनों में पांच और गवाहों की गवाही पूरी की जाएगी, लेकिन तब से अब तक सुनवाई में कोई प्रगति नहीं हुई है।

अदालत ने निर्देश दिया है कि मुन्ना धाली और नबू धाली को ₹10 हजार रुपये के निजी मुचलके और दो ज़मानती — जिनमें से एक स्थानीय होना अनिवार्य है — के साथ रिहा किया जाए। साथ ही, उन्हें हर सुनवाई में ट्रायल कोर्ट के समक्ष उपस्थित होना होगा और गवाहों को डराने-धमकाने या सबूतों से छेड़छाड़ करने से सख्ती से परहेज़ करना होगा।

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