
New Delhi : दिल्ली के रेड फोर्ट मेट्रो स्टेशन के पास 10 नवंबर को हुए कार ब्लास्ट ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया, जिसमें अब तक 13 लोगों की जान जा चुकी है। जांच एजेंसियों को एक अंतरराष्ट्रीय साजिश का सुराग मिला है, जो तुर्की की राजधानी अंकारा तक फैला हुआ है। गिरफ्तार संदिग्ध डॉक्टरों और मुख्य आरोपी डॉ. उमर उन नबी के तुर्की-आधारित हैंडलर ‘उकासा’ (Ukasa) से संपर्क का खुलासा हुआ है, जो जेएम (जैश-ए-मोहम्मद) और अंसार गजवात-उल-हिंद जैसे संगठनों से जुड़ा माना जा रहा है। लेकिन तुर्की सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है, इसे ‘दुष्प्रचार’ बताते हुए भारत-तुर्की संबंधों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करार दिया।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अब इस ‘व्हाइट-कॉलर’ टेरर मॉड्यूल की गहराई में उतर रही है, जिसमें फरीदाबाद के अल-फलाह यूनिवर्सिटी के डॉक्टर शामिल हैं। डीएनए टेस्ट से पुष्टि हुई कि ह्यूंडई i20 कार में विस्फोट के समय डॉ. उमर ही चला रहे थे। आइए, इस सनसनीखेज केस की लेयर्स को खोलते हैं।
तुर्की हैंडलर ‘उकासा’: मकड़ी की तरह बुनी साजिश
पुलिस सूत्रों के हवाले से PTI और इंडिया टुडे को मिली जानकारी के मुताबिक, ‘उकासा’ – जो अरबी में ‘मकड़ी’ का मतलब है – एक छद्म नाम है, जिसके जरिए अंकारा से बैठे इस हैंडलर ने भारतीय संदिग्धों को रेडिकलाइजेशन, फंडिंग और ऑपरेशनल निर्देश दिए। यह संपर्क पूरी तरह एन्क्रिप्टेड ‘सेशन ऐप’ (Session App) के जरिए होता था, जो आईएसआईएस जैसे संगठनों द्वारा इस्तेमाल होने वाली एक अत्यधिक सुरक्षित मैसेजिंग प्लेटफॉर्म है। ऐप में कोई फोन नंबर या ईमेल की जरूरत नहीं पड़ती, और यह डिसेंट्रलाइज्ड नेटवर्क पर चलता है, जिससे ट्रैकिंग लगभग असंभव हो जाती है।
जांचकर्ताओं का कहना है कि शुरुआती संपर्क टेलीग्राम पर हुआ, फिर सिग्नल और अंत में सेशन पर शिफ्ट हो गया। ‘उकासा’ ने संदिग्धों को कोडवर्ड्स सिखाए जैसे विस्फोटकों को ‘शिपमेंट’ या ‘पैकेज’ कहना। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “यह हैंडलर फरीदाबाद मॉड्यूल का दिमाग था। उसने डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल को गुप्त सेल बनाने, डिजिटल फुटप्रिंट छिपाने और फंड जुटाने के टिप्स दिए।” सोशल मीडिया पर #UkasaHandler ट्रेंड कर रहा है, जहां यूजर्स इसे ‘मकड़ी के जाले’ से जोड़ रहे हैं।
तुर्की का सख्त इनकार: ‘झूठी खबरें, संबंधों को नुकसान’
तुर्की सरकार ने इन दावों को ‘पूरी तरह निराधार और तथ्यहीन’ बताते हुए खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया, “तुर्की हर प्रकार के आतंकवाद का विरोध करता है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर लड़ाई लड़ रहा है। भारत या किसी अन्य देश में कट्टरपंथ फैलाने का आरोप बेबुनियाद है। ऐसी रिपोर्ट्स का उद्देश्य हमारे द्विपक्षीय संबंधों को खराब करना है।” तुर्की ने भारत से तथ्यों की जांच करने की अपील की है। यह विवाद तब और गहरा गया जब X पर पोस्ट्स में तुर्की को पाकिस्तान से जोड़ने वाले दावे वायरल हो गए।
जनवरी 2025 का तुर्की दौरा: रेकी और रेडिकलाइजेशन का प्लान
जांच में एक और झटका – संदिग्ध डॉ. उमर नबी और डॉ. मुजम्मिल गनई जनवरी 2025 में तुर्की गए थे। उनके पासपोर्ट से तुर्की के टिकट बरामद हुए हैं। सूत्रों के अनुसार, यह यात्रा जेएम हैंडलर्स से मिलने के लिए थी, जहां उन्हें रेड फोर्ट पर हमले की ट्रेनिंग दी गई। इससे पहले, मार्च 2022 में भी डॉ. उमर और तीन अन्य सहयोगी अंकारा गए थे, जहां उन्होंने दो हफ्ते बिताए। TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्की को मीटिंग पॉइंट इसलिए चुना गया ताकि भारतीय निगरानी से बचा जा सके।
जनवरी में ही दोनों ने लाल किले की रेकी की मोबाइल डंप डेटा से साबित हुआ कि वे गणतंत्र दिवस पर ऐतिहासिक स्मारक को निशाना बनाने की साजिश रच रहे थे। लेकिन कड़ी सुरक्षा के कारण यह प्लान फेल हो गया। X पोस्ट में एक यूजर ने लिखा, “तुर्की का लिंक ISIS जैसा लग रहा है सेशन ऐप इसका सबूत।”
दिल्ली ब्लास्ट के तीन बड़े खुलासे: साजिश की गहराई
NIA की पूछताछ और रेड्स से मिले सबूतों ने साजिश की परतें उजागर कीं। यहां तीन प्रमुख खुलासे:खुलासाविवरणप्रभावलाल किले की जनवरी रेकीडॉ. मुजम्मिल गनई (अल-फलाह यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर) और डॉ. उमर ने जनवरी 2025 में कई बार लाल किले की रेकी की। मोबाइल डेटा से सुरक्षा पैटर्न और भीड़ का अध्ययन साफ। 26 जनवरी पर बड़ा हमला प्लान था, जो नाकाम।साजिश जनवरी से चल रही थी; फरीदाबाद-सहरनपुर मॉड्यूल का केंद्र फरीदाबाद।6 दिसंबर का ‘बदला’ प्लानडॉ. उमर बाबरी मस्जिद विध्वंस की याद में 6 दिसंबर को दिल्ली में ‘स्पेक्ट्याकुलर अटैक’ चाहता था। पूछताछ में 8 संदिग्धों ने कबूला। गिरफ्तार 6 डॉक्टर; श्रीनगर के डॉ. निसार (डॉक्टर्स एसोसिएशन का चेयरमैन) फरार। J&K सरकार ने उसे बर्खास्त किया।मुजम्मिल की गिरफ्तारी से प्लान बिगड़ा; 20 लाख रुपये फंड जुटाए गए।खाद की बोरी में विस्फोटकडॉ. मुजम्मिल किराए के कमरे में NPK खाद की बोरियों में 3,000 किलो विस्फोटक जमा कर रहा था। पड़ोसियों से बोला, “कश्मीर ले जाना है।” 100 मीटर दूर CCTV फुटेज जब्त। डायरी में 25-30 और संदिग्धों की लिस्ट।रेड्स में इकोस्पोर्ट कार और विस्फोटक बरामद; सिग्नल ऐप पर ग्रुप बनाया गया।
NIA की कार्रवाई: 13 मौतें, लेकिन साजिश का जाल टूटा
ब्लास्ट में 12 लोग मारे गए थे, लेकिन LNJP हॉस्पिटल में इलाज के दौरान एक और शिकार बिलाल की मौत से आंकड़ा 13 पहुंच गया। NIA ने फरीदाबाद, सहरनपुर और लखनऊ में रेड्स किए, जहां डॉ. शाहीन सईद जैसे संदिग्धों की जांच चल रही है। एक डायरी से ‘ऑपरेशन’ का जिक्र मिला, जिसमें 32 वाहनों से ब्लास्ट का प्लान था।
गृह मंत्रालय ने इसे ‘टेररिस्ट अटैक’ घोषित कर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी दोहराई। X पर #DelhiBlastTurkey ट्रेंड कर रहा है, जहां यूजर्स तुर्की को ISI से जोड़ रहे हैं। क्या यह साजिश पाकिस्तान तक फैली है? NIA जल्द अंतरराष्ट्रीय सहयोग मांगेगी।
यह केस भारत की एंटी-टेरर सिस्टम की ताकत दिखाता है, लेकिन सवाल बाकी: कितने और ‘व्हाइट-कॉलर’ मॉड्यूल छिपे हैं? आपकी राय कमेंट में शेयर करें।















