
टोयोटा, मर्सिडीज, BMW, हुंडई और फॉक्सवैगन जैसी प्रमुख कंपनियां अमेरिका में अपने वाहनों का निर्यात करती हैं। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विदेशी निर्मित कारों और बाइक्स पर ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ (प्रतिस्थापन शुल्क) लगाने का ऐलान किया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि ट्रंप का यह टैरिफ प्लान भारत और दुनिया के ऑटो सेक्टर को किस तरह प्रभावित करेगा?
इस नई नीति का सबसे अधिक असर जापान, दक्षिण कोरिया और जर्मनी के ऑटो सेक्टर पर पड़ेगा, क्योंकि इन देशों की कंपनियां जैसे टोयोटा, मर्सिडीज, BMW, हुंडई और फॉक्सवैगन अमेरिकी बाजार में अपने उत्पाद बेचती हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या इसका असर भारत की ऑटो कंपनियों पर भी पड़ेगा?
भारत की ऑटो कंपनियों पर असर:
भारतीय कंपनियां जैसे टाटा मोटर्स, महिंद्रा और आयशर मोटर्स पर भी इस टैरिफ का प्रभाव हो सकता है। उदाहरण के लिए, टाटा मोटर्स के स्वामित्व वाली जगुआर लैंड रोवर और आयशर मोटर्स द्वारा निर्मित रॉयल एनफील्ड बाइक्स की अमेरिका में अच्छी मांग है। हालांकि, जगुआर और लैंड रोवर की कारों का निर्माण मुख्य रूप से ब्रिटेन और यूरोप में होता है, तो अमेरिका को इनकी सप्लाई फिलहाल रोक दी गई है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, जगुआर लैंड रोवर ने सोमवार से अमेरिका को अपनी कारों की शिपमेंट अस्थायी रूप से रोक दी है, ताकि वे नए इम्पोर्ट टैक्स से निपटने के लिए विकल्प तलाश सकें।
महिंद्रा की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। यह कंपनी भी अमेरिका के कुछ हिस्सों में अपने वाहनों की बिक्री करती है, लेकिन अब इस टैरिफ की वजह से भारतीय बाजार से अमेरिका निर्यात होने वाली गाड़ियों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसके कारण कंपनी की बिक्री में कमी आ सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस टैरिफ का असर ऑटो पार्ट्स बनाने वाली भारतीय कंपनियों पर भी पड़ेगा, क्योंकि वे अमेरिका को ऑटो पार्ट्स निर्यात करती हैं।
इस तरह, ट्रंप के टैरिफ प्लान का असर भारतीय ऑटो इंडस्ट्री पर भी महसूस किया जा सकता है, विशेष रूप से उन कंपनियों पर जो अमेरिकी बाजार में अपनी उपस्थिति बनाए हुए हैं।