ट्रंप प्रशासन का बड़ा फैसला : हार्वर्ड विश्वविद्यालय में रोका विदेशी छात्रों का दाखिला, भारतीयों पर क्या होगा असर? 

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विश्वप्रसिद्ध हार्वर्ड विश्वविद्यालय के बीच टकराव अब और भी तीखा हो गया है। ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड की अंतरराष्ट्रीय छात्रों की प्रवेश क्षमता को रद्द करने का फैसला लिया है। इस फैसले की पुष्टि होमलैंड सुरक्षा विभाग (DHS) ने की है। यह निर्णय हार्वर्ड द्वारा सरकार के कुछ अनुरोधों को मानने से इनकार करने के बाद लिया गया।

क्या है ट्रंप प्रशासन का आरोप?

DHS की सचिव क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके अनुसार हार्वर्ड:

  • यहूदी छात्रों के प्रति शत्रुतापूर्ण माहौल बना रहा है,
  • हमास समर्थक सहानुभूति को बढ़ावा दे रहा है
  • और नस्लवादी ‘विविधता, समानता और समावेश’ (DEI) नीतियों को बढ़ावा दे रहा है।

उन्होंने कहा कि हार्वर्ड 72 घंटे में प्रशासन की मांगें पूरी करके अपना अंतरराष्ट्रीय दर्जा पुनः प्राप्त कर सकता है। इसके लिए विश्वविद्यालय को:

  • विदेशी छात्रों के अनुशासनात्मक रिकॉर्ड
  • और विरोध प्रदर्शन की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग सौंपनी होगी।

फैसले से कौन-कौन प्रभावित होगा?

हार्वर्ड विश्वविद्यालय में वर्तमान में 6,800 अंतरराष्ट्रीय छात्र पढ़ रहे हैं, जिनमें से 788 छात्र भारतीय हैं। ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से इन सभी पर असर पड़ सकता है:

  • जिन छात्रों की डिग्री अभी पूरी नहीं हुई, उन्हें या तो किसी अन्य मान्यता प्राप्त संस्थान में ट्रांसफर होना पड़ेगा, या फिर अमेरिका में अपनी कानूनी स्थिति गंवानी पड़ सकती है।
  • केवल उन्हीं छात्रों को स्नातक होने की अनुमति दी जाएगी, जो इस सेमेस्टर में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं
  • यह निर्णय 2025-26 शैक्षणिक सत्र से लागू होगा।

हार्वर्ड ने क्या प्रतिक्रिया दी?

हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने इस कार्रवाई को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। एक आधिकारिक बयान में विश्वविद्यालय ने कहा:

“यह निर्णय न केवल गैरकानूनी है, बल्कि हमारे शोध और शैक्षणिक मिशन पर सीधा हमला है।”

हार्वर्ड ने यह भी स्पष्ट किया कि वह किसी भी राजनीतिक दबाव में छात्रों की निजी जानकारी साझा नहीं करेगा। विश्वविद्यालय ने इस फैसले को “अंतरराष्ट्रीय शिक्षा की स्वतंत्रता पर हमला” करार दिया है।

ट्रंप और हार्वर्ड: पहले से चल रहा है विवाद

यह विवाद नया नहीं है। पिछले साल अमेरिकी विश्वविद्यालय परिसरों में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए थे, जिनमें हार्वर्ड भी सक्रिय था। ट्रंप ने इन प्रदर्शनों को “हमास समर्थक आंदोलन” बताया था और छात्र संगठनों पर देशद्रोह के आरोप लगाए थे।

राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने:

  • DEI (Diversity, Equity, Inclusion) कार्यक्रमों को बंद करने का आदेश दिया,
  • विश्वविद्यालय परिसरों में राजनीतिक गतिविधियों पर कड़ा नियंत्रण लागू किया,
  • और छात्रों व शिक्षकों के विचारों की जांच की मांग की।

हार्वर्ड ने इन आदेशों को मानने से इनकार कर दिया, जिसके चलते:

  • उसकी फंडिंग रोक दी गई,
  • और कर छूट भी वापस ले ली गई

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