
देहरादून : उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में त्रिपुरा के 24 वर्षीय छात्र एंजेल चकमा की कथित नस्लीय हिंसा में हुई मौत को लेकर आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एंजेल पर हुए हमले में उसे इतनी गंभीर चोटें आईं कि 17 दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद 26 दिसंबर को उसकी मृत्यु हो गई।
ग्राफिक एरा अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया गया है कि एंजेल की पीठ और सिर के पिछले हिस्से पर गहरे घाव थे। उसके पैरों पर कई खरोंचें पाई गईं, जबकि शरीर का दाहिना हिस्सा पूरी तरह से लकवाग्रस्त हो गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि दाहिने हिस्से में ऊपर से नीचे तक कोई ताकत नहीं थी और संवेदी क्षमताएं भी प्रभावित थीं। इसके अलावा उसकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट और मस्तिष्क में दरारें भी सामने आई हैं।
एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, एंजेल पर हाथ में पहनने वाले धातु के कड़े और चाकू से हमला किया गया था, जिससे उसके सिर और शरीर पर गंभीर जख्म आए। इस घटना के बाद पूर्वोत्तर राज्यों के नेताओं में भारी रोष है। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बातचीत कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग की है।
मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है। कुकी छात्र संगठन ने इसे साधारण हिंसा नहीं, बल्कि नस्लभेद, लगातार भेदभाव और संस्थागत उपेक्षा का परिणाम बताया है।
घटना 9 दिसंबर की है, जब देहरादून के सेलाकुई इलाके में नशे में धुत युवकों के एक समूह ने एंजेल चकमा और उसके छोटे भाई माइकल चकमा को नस्लीय टिप्पणी करते हुए ‘चाइनीज मोमो’ कहकर चिढ़ाया। विरोध करने पर आरोपियों ने चाकू से हमला कर दिया। गंभीर रूप से घायल एंजेल को ग्राफिक एरा अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान 26 दिसंबर को उसकी मौत हो गई।
पुलिस ने मामले में दो नाबालिगों सहित कुल पांच लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि मुख्य आरोपी यज्ञ अवस्थी नेपाल फरार बताया जा रहा है।
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