भास्कर समाचार सेवा
मथुरा। जवाहरबाग कांड को छह साल पूरे हो गए। दो जून 2016 की शाम को जो वीभत्स तांडव जवाहर बाग में हुआ था वह इतिहास में दर्ज हो गया। जवाहर बाग कांड में कितने लोगों ने अपनी जान गंवाई यह प्रश्न हमेशा अनुत्तरित रहेगा, हालांकि आधिकारिक तौर पर यह माना गया है कि 29 लोगों की इस दौरान मौत हुई। दो जून 2016 को पूरा जवाहरबाग जल उठा था, छह साल में बहुत कुछ बदला है। बर्बाद हो चुके जवाहर बाग का इसके बाद कायाकल्प हो चुका है। जवाहर बाग पिकनिक स्पॉट बन गया है। लेकिन सीबीआई जांच पूरी होने, जवाहर बाग कांड में शहीद हुए दो पुलिस अधिकारियों की प्रतिमा लगाए जाने तथा जवाहर बाग का शहीदों के नाम पर नामकरण किए जाने जैसे मुद्दे अभी अभी भी प्रश्नचिन्ह के साथ खड़े हैं। तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसएचओ फरह संतोष यादव ने भी जवाहर बाग कांड में अपने प्राण गंवाए थे। जवाहर बाग में दोनों शहीद पुलिस अधिकारियों की प्रतिमा लगाने और इनके नाम पर बाग का नामकरण करने की बात हुई थी। हर साल शहीद पुलिसकर्मियों के परिजन दो जून को जवाहरबाग आते हैं। शहीद मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी एक बार फिर दो जून को मथुरा के जवाहरबाग पहुंची और श्रद्धांजलि दी। उन्होंने खेद और दुख व्यक्त करते हुए कहा कि बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि आज तक शहीदों की प्रतिमा जवाहर बाग में नहीं लगी और न ही कोई स्मारक बना, सीबीआई जांच भी अभी तक अधर में लटकी है। जिस तरह से शिथिलता के साथ सीबीआई जांच हो रही है। उसे देख कर लग रहा है कि जांच एजेंसी यहां भी गंभीर नहीं है। शहीदों के स्मारक और मूर्तियां तक नहीं लगी। अभी जानकारी मिली है कि शासन से शहीदों की प्रतिमा लगाने वाले प्रस्ताव को खारिज कर दिया। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है। इस जवाहर बाग कांड को लेकर उस वक्त तमाम राजनीति भी हुई थी। जहां शहीद मुकुल द्विवेदी वाटिका और शहीद संतोष यादव वाटिका में शहीदों को श्रद्धांजलि दी। मांट विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक राजेश चैधरी ने जबाहर बाग पहुंच कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी और शहीद स्मारक के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री के सामने रखने की बात कही।