
गाजियाबाद: डिजिटल टेक्नोलॉजी अब सरकारी विभागों में भी बेहतर कार्य करते हुए नजर आ रही है। इसके अंतर्गत एआई की सहायता से डाटा को कलेक्ट करने का कार्य किया जा रहा है। कई विभाग ऐसे हैं जो एआई की सहायता से डाटा कलेक्ट कर पूरी तरह पारदर्शिता ला रहे हैं।
आरटीओ प्रवर्तन केडी सिंह गौर ने दैनिक भास्कर को जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय MoRTH ने उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग की कृत्रिम बुद्धिमत्ता और बिग-डाटा एनालिटिक्स आधारित सड़क सुरक्षा पायलट परियोजना को औपचारिक अनापत्ति प्रदान कर दी है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह पहल मोटर यान अधिनियम 1988, केंद्रीय मोटर यान नियमावली 1989 तथा सड़क सुरक्षा के ई-प्रवर्तन एसओपी का पूर्ण पालन करेगी और मंत्रालय पर कोई वित्तीय दायित्व नहीं डालेगी।
यह परियोजना देश के किसी भी राज्य परिवहन विभाग द्वारा अपनाई गई पहली एआई-संचालित सड़क सुरक्षा परीक्षण परियोजना है। इसे सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई आईटीआई लिमिटेड और वैश्विक टेक-पार्टनर एम लोजिका द्वारा शून्य लागत प्रो-बानो आधार पर संचालित किया जाएगा।
प्रदेश शासन ने पहले ही वर्ष 2025-26 के बजट में 10 करोड़ का प्रावधान कर डेटा-संचालित प्रशासन मॉडल की आधारशिला रखी है। प्रारंभिक प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट चरण छह सप्ताह का होगा, जिसमें बहु-स्रोत डेटा दुर्घटना रिपोर्ट, मौसम, वाहन टेलीमैटिक्स, ड्राइवर प्रोफाइल और सड़क ढांचा एकीकृत कर एआई मॉडल तैयार किए जाएंगे। उद्देश्य है दुर्घटनाओं के मूल कारणों की पहचान, ब्लैक स्पॉट की भविष्यवाणी और रीयल-टाइम नीति डैशबोर्ड तैयार करना।
पायलट के सफल निष्कर्षों के बाद यही एआई इंजन विभाग की सभी प्रमुख सेवाओं फेसलेस लाइसेंस-परमिट प्रणाली, प्रवर्तन आधुनिकीकरण, राजस्व वसूली, ई-चालान तथा वाहन सारथी प्लेटफॉर्म में चरणबद्ध रूप से विस्तारित किया जाएगा, जिससे उत्तर प्रदेश को तकनीकी नवाचार का अग्रणी राज्य बनाया जा सके।
पायलट चरण से प्राप्त आँकड़ों और अनुभवों के आधार पर एआई आधारित विश्लेषणात्मक कोर को चरणबद्ध रणनीति के तहत विभाग की अन्य डिजिटल सेवाओं में समाहित किया जाएगा। इसे फेसलेस ड्राइविंग लाइसेंस व परमिट प्रक्रिया से जोड़ा जाएगा, जहाँ आवेदन‑स्वीकृति‑प्रिंटिंग की पूरी प्रक्रिया स्वचालित निर्णय मॉडल से संचालित होगी।
इसके बाद प्रवर्तन तंत्र में वास्तविक समय में धोखाधड़ी की पहचान, वाहन स्थिति मानचित्रण और उल्लंघन प्रवृत्तियों के पूर्वानुमान जैसे मॉड्यूल जोड़े जाएंगे, जिससे चालान निर्गमन और ऑन‑स्पॉट कार्रवाई अधिक वैज्ञानिक बन सके।
एआई इंजन राजस्व प्रशासन, ई-चालान वसूली और वाहन सारथी डेटाबेस की पारस्परिक क्रियाविधि को सशक्त करेगा, जिससे कर देयता, शुल्क अदायगी और दस्तावेज़ वैधता पर स्वचालित अलर्ट और जोखिम स्कोर जनरेट होंगे। इस अंतःएकीकरण से विभाग को समग्र डिजिटल चित्र आय, उल्लंघन, दस्तावेज़ स्थिति एक ही डैशबोर्ड पर प्राप्त होगा, जो नीति-निर्णय, संसाधन आवंटन और सार्वजनिक पारदर्शिता को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा और उत्तर प्रदेश को परिवहन-तकनीक के क्षेत्र में देश का अग्रदूत बनाने के लक्ष्य को साकार करेगा।
इस बीच दैनिक भास्कर संवाददाता एमजे चौधरी से बातचीत करते हुए परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने कहा कि यह पहल उत्तर प्रदेश को डेटा-संचालित शासन की अगली पंक्ति में लाएगी। एआई मॉडल को सड़क सुरक्षा से आगे बढ़ाकर हम विभाग के हर कोर फंक्शन में समाहित करेंगे और प्रदेश को राष्ट्रीय पथ-प्रदर्शक बनाएंगे।
कार्यान्वयन के लिए आईटीआई-एम लोजिका टीम को विभागीय आईटी, प्रवर्तन व सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठों के साथ तत्काल कार्य प्रारंभ करने की अनुमति दी गई है। परियोजना पूरी होने पर एक विस्तृत परिणाम रिपोर्ट मंत्रालय को प्रस्तुत की जाएगी।
साथ ही विधिक अनुपालन, डेटा गोपनीयता और साइबर सुरक्षा मानकों का निरंतर ऑडिट किया जाएगा। परियोजना से यह विश्वास है कि राज्य में दुर्घटना दर में ठोस कमी आएगी, प्रवर्तन की दक्षता बढ़ेगी और नागरिकों को पारदर्शी, तीव्र एवं सुरक्षित परिवहन सेवाएँ प्राप्त होंगी।
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