
सोनौली बॉर्डर, महराजगंज। भारत–नेपाल सीमा का सबसे व्यस्त और प्रमुख मार्ग सोनौली है, जहाँ से प्रतिदिन बड़ी संख्या में भारतीय और विदेशी पर्यटक नेपाल में प्रवेश करते हैं। हालाँकि इस बढ़ती पर्यटक संख्या के विपरीत, यहाँ की सुविधाएँ लगातार कम पड़ती जा रही हैं। सीमा-चेकिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी और अनियमित व्यवस्था के कारण यात्रियों को घंटों तक इंतजार करना पड़ रहा है, जिसके चलते कई विदेशी अपनी नेपाल यात्रा बीच में ही रद्द कर रहे हैं। इसका प्रत्यक्ष असर नेपाल के सीमा-बाज़ारों, होटल कारोबार और पर्यटन-आधारित रोज़गार पर साफ दिखाई दे रहा है।
इमिग्रेशन और चेकिंग में 4 से 8 घंटे तक की देरी
स्थानीय गाइडों और ऑपरेटरों के अनुसार, सीमा पर मौजूद इमिग्रेशन काउंटर, एसएसबी की जांच और नेपाल प्रशासन की अलग प्रक्रिया के कारण पर्यटकों को सामान्य दिनों में भी कम से कम चार घंटे, जबकि भीड़ के समय छह से आठ घंटे तक लग जाते हैं।
टूरिस्ट बसों को एक ही स्थान पर लंबे समय तक रोके जाने से यात्रियों का कार्यक्रम बिगड़ जाता है। कई पर्यटक जो आगे लुंबिनी, पोखरा या काठमांडू जाने की योजना बनाते हैं, वे सोनौली सीमा पर लगी देरी के कारण अपनी बुकिंग वहीं रद्द कर देते हैं।
स्थानीय कारोबारियों को बड़ा नुकसान
गाइडों के अनुसार, बुकिंग रद्द होने के कारण नेपाल के छोटे-बड़े कारोबारी सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। प्रति पर्यटक हजारों रुपयों का संभावित नुकसान होता है। होटलों में एडवांस बुकिंग कैंसिल हो रही है। स्थानीय दुकानदारों की बिक्री भी 40–50 प्रतिशत तक घट जाती है।
कुशीनगर और भैरहवा के कई ट्रैवल ऑपरेटरों ने बताया कि यदि सीमा पर एक-स्टॉप चेकिंग, क्लियर लेन और बसों के लिए अलग मार्ग की व्यवस्था हो जाए तो स्थिति काफी हद तक सुधर सकती है। लेकिन वर्तमान अव्यवस्था पर्यटन व्यवसाय की रीढ़ को कमजोर कर रही है।
2025 में नेपाल आए पर्यटकों की स्थिति
नेपाल टूरिज्म बोर्ड की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी से मई 2025 के बीच नेपाल में 5 लाख से अधिक अंतरराष्ट्रीय पर्यटक पहुँच चुके हैं। अकेले अप्रैल 2025 में नेपाल ने लगभग 1.16 लाख विदेशी पर्यटकों का स्वागत किया। इन आँकड़ों से स्पष्ट है कि नेपाल में पर्यटन स्थिर गति से बढ़ रहा है, लेकिन सोनौली जैसी सीमाओं पर यात्रियों को होने वाली कठिनाइयाँ इस तेज़ी को धीमा करने का बड़ा कारण बन रहीं हैं।
टूरिज्म बोर्ड के अधिकारियों का मानना है कि नेपाल आने वाले विदेशी पर्यटकों में से एक बड़ी संख्या भारत के मार्ग, विशेषकर सोनौली, का चयन करती है। ऐसे में यदि सीमा-व्यवस्थाओं में सुधार न हुआ तो अंतरराष्ट्रीय आगमन पर दीर्घकालिक असर पड़ेगा।
जाम और ढीली व्यवस्था समस्या की जड़
टूरिस्ट बसें, ट्रक और निजी वाहन एक ही लेन का उपयोग करते हैं, जिसके कारण कभी-कभी 5–6 किलोमीटर लंबा जाम लग जाता है। यात्रियों की कतारें बढ़ती जाती हैं और आवश्यक दस्तावेजों की मैनुअल जांच में घंटों लग जाते हैं।
सीमा पर पर्याप्त शौचालय, प्रतीक्षालय, पेयजल और सूचना केंद्रों की कमी भी विदेशी पर्यटकों की नाराज़गी का बड़ा कारण है।चेकिंग एक ही खिड़की पर पूरी हो सकती है। समूह-बसों के लिए प्रायोरिटी लेन से भीड़ कम होगी। वेटिंग एरिया और सूचना केंद्र यात्रियों की सुविधा बढ़ाएंगे। इससे नेपाल की अंतरराष्ट्रीय छवि सुधरेगी और देश की पर्यटन आय बढ़ेगी।
सोनौली बॉर्डर देश के सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन प्रवेश-द्वारों में से एक है। पर्यटक संख्या बढ़ रही है, पर्यटन व्यवसाय के लिए संभावनाएँ भी बढ़ रही हैं, किंतु सीमा पर सुविधाओं की भारी कमी इस विकास को खींचकर पीछे कर दे रही है। यदि जल्द ही प्रशासनिक और इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार नहीं किए गए, तो आने वाले समय में नेपाल पर्यटन को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। नेपाल की अर्थव्यवस्था और सीमावर्ती व्यापारी—दोनों के हित इसी में हैं कि सोनौली को सहज, सुरक्षित और आधुनिक सीमा प्रवेश केंद्र के रूप में विकसित किया जाए।











