
- केवल लेसा में ही समाप्त हो सकते हैं आठ हजार पद
Lucknow : निजीकरण के पहले वर्टिकल सिस्टम के नाम पर हजारों पदों को समाप्त कर बिजली व्यवस्था पटरी से उतारने की साजिश रची जा रही है। केवल लेसा में लगभग 8000 पद समाप्त करने के निर्णय से बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा व्याप्त हो गया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने मुख्यमंत्री से वर्टिकल व्यवस्था को लेकर हस्तक्षेप करने की मांग की।
उन्होंने बताया कि पावर कारपोरेशन का शीर्ष प्रबंधन निजीकरण के नाम पर वर्टिकल सिस्टम लागू कर रहा है और इसके बहाने बिजली कर्मियों के हजारों पद समाप्त किया जा रहे हैं। लेसा में 2055 नियमित पद और लगभग 6000 संविदा कर्मियों के पद मनमाने ढंग से समाप्त पर पॉवर कॉरपोरेशन प्रबन्धन प्रदेश की राजधानी की बिजली व्यवस्था पटरी से उतारने का काम कर रहा है जिसका उपभोक्ता सेवा पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ने जा रहा है। वर्तमान में लेसा में अधीक्षण अभियंता स्तर के 12 पद स्वीकृत है उन्हें घटाकर आठ किया जा रहा है।
अधिशासी अभियंता स्तर के 50 पद स्वीकृत है उन्हें घटाकर 35, सहायक अभियंता स्तर के 109 पद स्वीकृत उन्हें घटाकर 86, अवर अभियंता स्तर के 287 पद स्वीकृत है उन्हें घटाकर 142,टीजी 2 के 1852 पर स्वीकृति उन्हें घटाकर 503,लेखा संवर्ग में अकाउंटेंट के 104 पद,उन्हें घटाकर 53, एग्जीक्यूटिव अस्सिटेंट के 686 पद,घटाकर 280, कैंप असिस्टेंट के 74 पद, उन्हें लगभग समाप्त कर 12 किया जा रहा है । पद समाप्त करने और छटनी के मामले में सबसे बड़ी मार संविदा कर्मियों पर पड़ रही है। संविदा कर्मियों के छह हजार से अधिक पद समाप्त किए जा रहे हैं।
जिस प्रकार मध्यांचल मेंएलेसा और केस्को में और पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में हजारों मत समाप्त किये जा रहे हैं उससे बिजली कर्मियों की यह आशंका और बलवती हो गई है,कि संपूर्ण ऊर्जा क्षेत्र का निजीकरण किया जा जाने वाला है। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम तो शुरुआत मात्र है। इससे बिजली कर्मियों का गुस्सा और बढ़ गया है।
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