वो 10 सबसे भयावह घटनाएं….धार्मिक स्थलों पर बार-बार क्यों होती है भगदड़? आखिर कहां हो जाती है चूक

नई दिल्‍ली: मंदिरों में आस्‍था का जनसैलाब उमड़ना यानी लोगों की भीड़ जुटना आम बात है, लेकिन जरा-सी लापरवाही, कोई अफवाह या हड़बड़ी के चलते भगदड़ जैसी दुर्घटना होने की आशंका रहती है और ऐसी भगदड़ में लोगों की जानें भी चली जाती हैं. ऐसी ही भगदड़ मचने और मौत होने की खबर हरिद्वार से आई है, जहां मनसा मंदिर में भगदड़ मचने से 7 लोगों की मौत हो गई है, जबकि कई लोग घायल बताए जा रहे हैं. 

मंदिर में भगदड़ मचने और मौत होने की ये कोई पहली घटना नहीं है. जम्‍मू में वैष्‍णो देवी मंदिर से लेकर प्रयागराज के महाकुंभ मेले तक, पिछले कुछ वर्षों में ऐसी कई दुर्घटनाएं सामने आ चुकी हैं. 

हाथरस सत्‍संग: सबसे बड़ा हादसा 

साल भर पहले हाथरस में स्वयंभू बाबा भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मच गई थी. नारायण साकार विश्व हरि उर्फ सूरजपाल के सत्संग में आस्था के सैलाब से मौत का ऐसा बबंडर उठा कि पूरा देश हिल गया था. 2 जुलाई, 2024 को हुई इस दुर्घटना में महिलाओं और बच्चों सहित 121 से ज्यादा लोग मरे. यह देश की सबसे बड़ी हालिया ट्रैजेडी में से एक है.

श्रीगुंडिचा मंदिर, पुरी 

ओडिशा के पुरी में रथ यात्रा के दौरान भगदड़ में तीन लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई लोग घायल हो गए. 29 जून को रथ, जगन्नाथ मंदिर से करीब तीन किलोमीटर दूर श्री गुंडिचा मंदिर के पास थे, जहां दर्शन के लिए भारी भीड़ जुटी थी. भीड़ बढ़ने पर कुछ लोग गिर गए, जिससे भगदड़ हो गई और तीन लोगों की मौत हो गई. 

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तिरुपति मंदिर, आंध्र प्रदेश 

तिरुमला के श्रीवेंकटेश्वर मंदिर में वैकुण्ठ एकादशी के टोकन वितरण के दौरान भक्तों की भीड़ नियंत्रण से बाहर हो गई. गेट अचानक खोल दिए गए, जिससे श्रद्धालु एक-दूसरे पर टकराने लगे. भगदड़ के कारण 6 लोग मारे गए और 50 से अधिक घायल हुए. बाद में न्यायिक आयोग ने घटना की जांच की. राज्य सरकार ने पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की घोषणा की. 

नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश 

हिमाचल प्रदेश में नैना देवी मंदिर में 31 मार्च, 2023 को रामनवमी से जुड़े एक धार्मिक आयोजन के दौरान भगदड़ मचने से कई लोगों की मौत हो गइ थी. एक प्राचीन कुएं के ऊपर की एक पटिया ढह गई थी, जिसके बाद भगदड़ मच गई. इस दुर्घटना में कम से कम 36 लोगों की मौत हो गई.

श्री लैराई देवी मंदिर, गोवा

गोवा के शिरगाव में 3 मई, 2025 की सुबह श्री लैराई देवी मंदिर में वार्षिक जत्रा के दौरान भगदड़ मची. संकीर्ण रास्ते पर बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु जमा थे. अचानक लोग ढलान से फिसलने लगे, जिससे टकराव हुआ और इस घटना में कम से कम 6 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हुए. 

बालेश्वर महादेव मंदिर, इंदौर 

इंदौर के बालेश्‍वर महादेव मंदिर में 31 मार्च 2023 को राम नवमी के दौरान हवन कार्यक्रम में भीड़ से ओवरलोड स्लैब ढह गया. चबूतरे के नीचे आकर कम से कम 36 लोग मर गए और 16 घायल हो गए. राहत और बचाव कार्य में 140 जवानों की मदद ली गई और पानी निकालकर शव निकाले गए. स्थानीय प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट पर निर्माण में दोष के आरोप लगाए गए थे. 

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बाबा सिद्धनाथ मंदिर, जहानाबाद, बिहार 

बिहार के जहानाबाद जिले में स्थित बाबा सिद्धनाथ मंदिर में पिछले साथ सावन महीने की पूजा के दौरान भगदड़ मची थी. 12 अगस्‍त 2024 को मंदिर परिसर में फूल बेचने वाले और भक्तों के बीच विवाद छिड़ा, जिससे भीड़ में तनाव पैदा हुआ. इस भगदड़ में कम से कम 7 लोग मारे गए और करीब 16 घायल हुए. 

कोट्टाकुलंगरा मंदिर, कोल्‍लम, केरल 

कोल्लम में 25 मार्च 2024 को ब्राह्मण परिवार की ओर से आयोजित पूजा के दौरान कणिकुइंग बच्चों की भीड़ संभाली नहीं गई. इस भगदड़ में एक 5 साल की बच्‍ची की मौत हो गई थी. अचानक भगदड़ के दौरान कई श्रद्धालु बेहोश हो गए थे, हालांकि प्रभावित लोगों की संख्‍या अपेक्षाकृत कम रही. इस घटना ने छोटे धार्मिक आयोजनों में भी भीड़ प्रबंधन की खामी उजागर की. 

वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू-कश्मीर 

साल 2022 का पहला दिन ही मनहूस साबित हुआ, जब 1 जनवरी को भारी भीड़ की वजह से भगदड़ मच गई और इसमें 12 लोगों की मौत हो गई, जबकि दर्जनों लोग घायल हो गए. बताया गया कि तीर्थयात्रियों के बर्फीले रास्ते से गुजरते समय ये हादसा हुआ था. 

…और अब मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार  

हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में आज 27 जुलाई को भारी भीड़ जुटने के कारण भगदड़ शुरू हुई. बताया गया कि मंदिर परिसर की सीढ़ियों पर अत्यधिक भीड़भाड़ थ, पावर लाइन गिरने से अचानक भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हुई. इस हादसे में कम से कम 6 श्रद्धालुओं की मौत होने की खबर सामने आई, जबकि 12 से ज्‍यादा लोग घायल हुए.  

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आखिर कहां हो जाती है चूक?

भगदड़ की इन घटनाओं में जिन भी मामलों की जांच हुई, उनमें किसी में स्‍थानीय प्रशासन की ओर से अव्‍यवस्‍था सामने आई, तो किसी में भीड़ प्रबंधन में चूक, वहीं कुछेक मामलों में निर्माण संरचना का कमजोर होना भी वजह के तौर पर सामने आया. हाथरस सत्‍संग के मामले में तो व्‍यवस्‍थापकों ने मामले से किनारा कर लिया था. कुछ गिरफ्तारियां भी हुई थीं, अफसरों पर कार्रवाई भी हुई थीं. हालांकि साकार विश्व हरि को जांच एजेंसी से क्लीनचिट मिल गई थी.

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