
क्या आप जानते हैं कि जापान की राजधानी टोक्यो का एक इलाका ‘लिटिल इंडिया’ कहलाता है? यहां हजारों भारतीय रहते हैं, जिनके घर, दुकानें, रेस्टोरेंट और स्कूल तक मौजूद हैं। पूरे जापान में करीब 53,974 भारतीय नागरिक रहते हैं (दिसंबर 2024 के आंकड़े)। इनमें से लगभग 15 हजार लोग टोक्यो के एदोगावा वार्ड में बसते हैं, जिसे लिटिल इंडिया कहा जाता है। यहां भारतीय तीन पीढ़ियों से रह रहे हैं और स्थायी रूप से बस चुके हैं।
एदोगावा: भारतीयों की सबसे बड़ी बस्ती

इस इलाके में भारतीय रेस्टोरेंट, किराना दुकानें, मसाला शॉप और कल्चरल सेंटर हैं। हिंदी, तमिल और तेलुगु बोलते परिवार, भारतीय स्कूलों की बसें और भारतीय त्योहारों की रौनक यहां आम है। करी, बिरयानी, डोसा और मिठाई से लेकर दाल-चावल और आटे तक सब कुछ आसानी से मिल जाता है।
भारतीय संस्कृति और त्योहार

यहां दिवाली, गणेश चतुर्थी और होली जैसे बड़े त्योहार सार्वजनिक रूप से मनाए जाते हैं, जिनमें स्थानीय जापानी लोग भी शामिल होते हैं। इस इलाके में भारतीय हिंदू मंदिर, इस्कॉन टेम्पल और इंडियन इंटरनेशनल स्कूल भी है। वीकेंड पर यहां क्रिकेट मैच, योगा क्लास और बॉलीवुड डांस क्लास जैसी गतिविधियां होती रहती हैं।
जापानी समाज से तालमेल
जापानी पड़ोसी इस इलाके को ‘इंडियन टाउन’ कहते हैं। बच्चे क्रिकेट खेलते हैं और भारतीय मिठाइयों का स्वाद चखते हैं। सांस्कृतिक मेलजोल बढ़ाने के लिए हर साल ‘नमस्ते एदोगावा’ नामक कार्यक्रम होता है, जिसमें जापानी लोग भारतीय घरों में जाकर भोजन और परंपराओं को करीब से देखते हैं।
भारतीयों की बसावट का सफर

1980–90 के दशक में जापान में आईटी और टेक्नोलॉजी कंपनियों के विस्तार के साथ पहली बड़ी भारतीय आबादी टोक्यो पहुंची। 2000 के बाद टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़, इंफोसिस और विप्रो जैसी कंपनियों के आने से बड़ी संख्या में भारतीय इंजीनियर और उनके परिवार यहां बस गए। धीरे-धीरे यह इलाका ‘लिटिल इंडिया’ कहलाने लगा।
जापान में हिंदू मंदिर

जापान का पहला हिंदू मंदिर इस्कॉन ने टोक्यो में खोला था। बाद में स्वामिनारायण और अक्षरधाम जैसे मंदिर भी बने। जनवरी 2025 तक जापान में लगभग 28 हिंदू मंदिर हैं। दिलचस्प बात यह है कि हिंदू देवी-देवताओं का प्रभाव जापान में सदियों पहले बौद्ध धर्म के जरिए पहुंच चुका था।