ये है उज्जैन का चौथ माता मंदिर….जो साल में सिर्फ एक दिन खुलता है करवा चौथ पर…जाने क्या है खास!

उज्जैन : करवा चौथ के पावन अवसर पर जहां देशभर की महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना में व्रत रखती हैं, वहीं उज्जैन का चौथ माता मंदिर इस दिन को और भी खास बना देता है। यह मंदिर पूरे साल बंद रहता है और साल में केवल एक दिन — करवा चौथ पर ही इसके कपाट खुलते हैं। इस दिन हजारों सुहागिन महिलाएं यहां पहुंचकर माता चौथ से अपने पतियों के दीर्घायु जीवन और दांपत्य सुख की प्रार्थना करती हैं। साथ ही अविवाहित युवतियां भी अच्छे वर की कामना के साथ माता के दर्शन करती हैं।

साल में केवल एक दिन खुलता है चौथ माता मंदिर

क्षिप्रा नदी के तट पर, उन्हेल बायपास के पास स्थित जीवनखेड़ी गांव का यह मंदिर एक अद्भुत परंपरा का प्रतीक है। मंदिर के व्यवस्थापक डॉ. कैलाश नागवंशी के अनुसार, यह प्रदेश का एकमात्र मंदिर है जो वर्ष में सिर्फ करवा चौथ के दिन ही खोला जाता है। इस दिन केवल सुहागिन महिलाएं ही माता के दर्शन कर सकती हैं। पूजा के बाद भक्तों को चुनरी, कामाख्या माता का कुमकुम और अभिमंत्रित रुद्राक्ष प्रसाद के रूप में दिया जाता है।

364 दिन विश्राम करती हैं माता

डॉ. नागवंशी बताते हैं कि साल 2000 में मां लक्ष्मीदेवी की स्मृति में इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। यहां देवी पार्वती, उनकी बहुएं ऋद्धि-सिद्धि, भाई-बहन लाभ-शुभ और संतोषी माता की मूर्तियां भी स्थापित हैं। मान्यता है कि माता पूरे 364 दिन विश्राम करती हैं, इसलिए मंदिर बंद रहता है, और सिर्फ करवा चौथ के दिन ही दर्शन होते हैं। ऐसी ही परंपरा राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बरवाड़ा स्थित सिद्धपीठ चौथ माता मंदिर से भी जुड़ी है।

तीन रूपों में होते हैं माता के दर्शन

करवा चौथ के दिन भक्तों को माता तीन स्वरूपों में दर्शन देती हैं —

  • सुबह बाल रूप में,
  • दोपहर में किशोरी रूप में,
  • और शाम को विशेष रूप में

पिछले वर्ष यहां लगभग 15 हजार श्रद्धालु पहुंचे थे, जबकि इस बार 20 हजार से अधिक लोगों के आने की संभावना है। इस अवसर पर कामाख्या का सिंदूर, नेपाल का रुद्राक्ष और विशेष सिक्के प्रसाद के रूप में वितरित किए जाते हैं, जिनके बारे में श्रद्धालुओं का विश्वास है कि इन्हें घर में रखने से धन, सौभाग्य और खुशहाली आती है।

क्यों मनाया जाता है करवा चौथ

करवा चौथ का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवी पार्वती ने यह व्रत भगवान शिव की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य के लिए रखा था। “करवा” मिट्टी का पात्र होता है और “चौथ” चतुर्थी तिथि को कहा जाता है। माता की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने देवी पार्वती को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिया था। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती, चंद्रमा और श्री गणेश की पूजा की जाती है।

उज्जैन में चंद्र दर्शन का शुभ समय

महाकाल की नगरी उज्जैन में इस वर्ष रात्रि 8:15 से 8:26 मिनट के बीच चंद्र दर्शन होंगे। इस दौरान पूजा करना अखंड सौभाग्य की कामना करने वाली महिलाओं के लिए शुभ माना गया है।

अन्नपूर्णा ज्योतिष केंद्र के पं. सतीश नागर के अनुसार, इस वर्ष करवा चौथ पर ग्रह-नक्षत्रों के दुर्लभ शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन शुक्रवार होने से यह अवसर और भी विशेष है। शुक्र को सौंदर्य, प्रेम और समृद्धि का प्रतीक माना गया है। इस दिन सूर्य चित्रा नक्षत्र में और चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे — यह संयोजन वैवाहिक सुख और सौभाग्य को बढ़ाने वाला माना गया है।

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