उत्तराखंड की ये हसीन वादियां कश्मीर से कम नहीं…चारधाम यात्रा के साथ – साथ यहां भी जरुर जांए


22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के बाद पर्यटकों का नया पसंदीदा गंतव्य बन रहा है उत्तराखंड ।अतीत से ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती रही है देवभूमि, यहां की शांत वादियां और हिमाच्छादित पर्वत मालाएं लोगों के मन को सुकून से भर देती हैं. उत्तराखंड में कई ऐसे पर्यटक स्थल हैं, जहां साल भर सैलानियों का तांता लगा रहता।

देहरादून (धीरज सजवाण)
कश्मीर में हुए हालिया आतंकी हमले के बाद पर्यटन का रुख अब उत्तराखंड की ओर मुड़ रहा है। देवभूमि उत्तराखंड प्राकृतिक सौंदर्य, हिमाच्छादित पहाड़ों और शांत वादियों से सजी हुई वह जगह है, जहां सैलानियों को कश्मीर जैसी ही ठंडी हवाएं, झीलें और हरियाली का लुत्फ मिल सकता है।

उत्तराखंड में भी कश्मीर जैसी वादियां

गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के पर्वतीय क्षेत्रों में ऐसी दर्जनों लोकेशन हैं जो किसी स्वर्ग से कम नहीं हैं।

  • गढ़वाल मंडल: हर की दून, दयारा बुग्याल, औली, चोपता, नीति घाटी, हर्षिल वैली, चाईंशील बुग्याल
  • कुमाऊं मंडल: दारमा वैली, नामिक ग्लेशियर, पंचाचूली बेस कैंप, आदि कैलाश, गूंजी, नारायण आश्रम

पर्यटन की नई पहचान बनते हिल स्टेशन

गढ़वाल के मसूरी, धनोल्टी, चकराता, पौड़ी, चमोली, टिहरी जैसे शहर सालभर पर्यटकों से गुलजार रहते हैं। वहीं कुमाऊं में मुनस्यारी, चौकोड़ी, गंगोलीहाट, बड़ालू झील जैसे ठिकाने प्रकृति प्रेमियों के पसंदीदा बनते जा रहे हैं।

डल झील जैसा अनुभव अब टिहरी झील में

सैलानी अब कश्मीर की डल झील की जगह उत्तराखंड की टिहरी झील में क्रूज़ और नौकायन का आनंद उठा सकते हैं। नैनीताल की झीलें – नैनी झील, भीमताल, सातताल, नौकुचियाताल – भी दिल जीत लेती हैं।

बेहतर सड़कें और सुविधा सम्पन्न व्यवस्थाएं

पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि “उत्तराखंड में 12-12 पर्यटन सर्किट गढ़वाल और कुमाऊं के लिए बनाए गए हैं। सड़कें सुधारी गई हैं, वैकल्पिक मार्ग खोले गए हैं और व्यवस्थाओं को आधुनिक बनाया गया है।”

चारधाम यात्रा के अलावा विकल्प खुले हैं

चारधाम यात्रा के साथ-साथ अब पर्यटक इन सर्किट्स के माध्यम से रूरल और एडवेंचर टूरिज्म का भी आनंद ले सकते हैं।

फोटोग्राफर और ट्रैवल एजेंसी की राय

  • भूमेश भारती, ट्रैवल फोटोजर्नलिस्ट: “टिहरी झील में अब क्रूज़ जैसे एक्सपीरियंस मिल रहे हैं, जो सैलानियों को आकर्षित कर रहे हैं।”
  • राकेश पंत, ट्रेक द हिमालय एजेंसी: “उत्तराखंड की आबोहवा और प्राकृतिक खूबसूरती कश्मीर से कम नहीं है।”

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