
शारदीय नवरात्रि और दुर्गा पूजा 2025 के दौरान दिल्ली-एनसीआर का माहौल भक्ति, उत्साह और रंगीनियों से भर जाता है। बंगाली समुदाय के साथ-साथ विभिन्न धर्म और वर्ग के लोग इन पंडालों में मां दुर्गा के दर्शन और भव्य सजावट का आनंद लेने पहुंचते हैं। यदि आप दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं या यात्रा का प्लान बना रहे हैं, तो इस नवरात्रि में दुर्गा पंडालों की यात्रा को अपनी लिस्ट में जरूर शामिल करें।
दिल्ली-एनसीआर के दुर्गा पूजा पंडाल केवल धार्मिक स्थल नहीं हैं, बल्कि यह कला, संस्कृति और सामाजिक एकता के प्रतीक भी हैं। मां दुर्गा के भव्य दर्शन और शानदार सजावट का अनुभव लेने के लिए यहां कुछ प्रमुख पंडालों की यात्रा की जा सकती है।
दिल्ली-एनसीआर के प्रमुख दुर्गा पूजा पंडाल
कालीबाड़ी दुर्गा पूजा
चित्तरंजन पार्क में आयोजित यह पंडाल दिल्ली का सबसे प्रसिद्ध और भव्य पंडाल है। बंगाली परंपरा के अनुसार पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। शाम का समय यहां का माहौल और भी आकर्षक बना देता है।
मंडी हाउस दुर्गा पूजा समिति
मंडी हाउस का पंडाल कलाकारों और साहित्यकारों के बीच प्रसिद्ध है। यहां की सजावट, सांस्कृतिक नृत्य और भजन संध्या दर्शकों का ध्यान खींचती है। पंडाल तक मेट्रो और कैब से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
नई दिल्ली – कालीबाड़ी, मंदिर मार्ग
दिल्ली के कालीबाड़ी मंदिर के पास दुर्गा पूजा पंडाल 1930 से लगातार सजाए जा रहे हैं। यह दिल्ली की सबसे पुरानी पूजा समितियों में से एक है, जहां भक्तों की भीड़ देखने लायक होती है।
नोएडा सेक्टर-62 दुर्गा पूजा
नोएडा सेक्टर-62 का पंडाल भी आकर्षण का केंद्र है। यहां थीम आधारित सजावट और भव्य मूर्तियां बनाई जाती हैं। मेट्रो के जरिए पंडाल तक पहुंचना आसान है।
गुड़गांव दुर्गा पूजा समिति
गुड़गांव के सेक्टर-47 और 56 में दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन होता है। यहां आईटी और कॉर्पोरेट लोग बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। परिवार के साथ दर्शन करने वालों के लिए दिन का समय सुविधाजनक है। पंडाल में बंगाली भोजन और मिठाइयों के स्टॉल भी लगे होते हैं, जो यात्रा अनुभव को और खास बनाते हैं।
दुर्गा पूजा 2025 देखने का सही समय
शारदीय नवरात्रि 2025 22 सितंबर से शुरू हो रही है और दुर्गाष्टमी 29 सितंबर को मनाई जाएगी। पंडालों में सबसे ज्यादा भीड़ षष्ठी से नवमी तक रहती है, यानी 27 से 30 सितंबर 2025 के बीच दर्शन का अनुभव सबसे शानदार रहेगा। सुबह या शाम किसी भी समय दर्शन किए जा सकते हैं, लेकिन रात के समय रोशनी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद सबसे खास होता है।