धरती पर लौटे शुभांशु शुक्ला के ये 7 परीक्षण गगनयान मिशन के लिए साबित होंगे वरदान, जानिए क्या हैं वो प्रयोग

Shubhanshu Shukla Gaganyaan Mission : अंतरिक्ष यात्रियों शुभांशु शुक्ला अपने क्रू के साथ पृथ्वी वापस लौट आए हैं। भारत के गगनयान मिशन के संदर्भ में यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, क्योंकि यह भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने शुभांशु की सफलता को देश के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया है। इसरो के निदेशक नीलेश एम. देसाई ने कहा कि शुभांशु का अनुभव गगनयान मिशन की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा।

बुधवार को भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और उनके साथ आए क्रू सदस्य पृथ्वी पर लौटे हैं। यह मिशन भारत के लिए अत्यंत अहम है, क्योंकि अब भारत गगनयान परियोजना के तहत मानव को अंतरिक्ष में भेजने की प्रक्रिया में है। यह भारत का पहला ऐसा मिशन होगा जिसमें बिना मानव के अंतरिक्ष यात्रा का अनुभव किया जाएगा।

शुभांशु शुक्ला पहले भारतीय हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर कदम रखा है। इससे पहले, 41 साल पहले राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष यात्रा की थी। ISS पर रहते हुए, शुभांशु ने सात अलग-अलग परीक्षण किए हैं। इन प्रयोगों और उनके अनुभवों का इस्तेमाल भारत के गगनयान मिशन में किया जाएगा।

ISS पर शुभांशु शुक्ला द्वारा किए गए 7 परीक्षण

मायोजेनेसिस (Myogenesis) – इसमें उन्होंने मांसपेशियों के क्षरण का अध्ययन किया, जो माइक्रोग्रैविटी में होता है। इससे पता चलता है कि बिना गुरुत्वाकर्षण के मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, और यह शोध ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों के उपचार में मदद कर सकता है।

टार्डिग्रेड्स (Tardigrade प्रयोग) – यह अध्ययन सूक्ष्मजीव टार्डिग्रेड्स पर केंद्रित था, जो चरम परिस्थितियों में भी जीवित रह सकते हैं। ये अध्ययन लंबी अंतरिक्ष यात्राओं के लिए उपयोगी हो सकते हैं।

बीज अंकुरण (Seed Germination) – शुभांशु ने मेथी और मूंग जैसे बीजों को अंतरिक्ष में उगाया और उनके जनेटिक परिवर्तन, गुण और पोषण स्तर का विश्लेषण किया। यह प्रयोग भविष्य में अंतरिक्ष में फसलों की खेती के लिए आशाजनक है।

साइनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria अध्ययन) – इसमें जल में पाए जाने वाले बैक्टीरिया की वृद्धि और गतिविधि का अध्ययन किया गया, जो चंद्रमा या मंगल जैसे ग्रहों पर जीवन समर्थन प्रणाली के लिए काम आ सकते हैं।

माइक्रोएल्गे (Microalgae प्रयोग) – यह प्रयोग माइक्रोग्रैविटी में भोजन, ऑक्सीजन और बायोफ्यूल के स्रोत के रूप में माइक्रोएल्गे की क्षमता का परीक्षण था।

फसल बीज अध्ययन (Crop Seeds Study) – छह प्रकार के फसल बीजों की वृद्धि का अध्ययन किया गया, ताकि यह समझा जा सके कि ये कैसे अंतरिक्ष में उग सकते हैं।

वॉयेजर डिस्प्ले (Voyager Display) – इसमें माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव से आँखों और मस्तिष्क पर पड़ने वाले असर का विश्लेषण किया गया।

गगनयान में शुभांशु के 7 दिनों का अनुभव आएगा काम

इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश एम. देसाई ने कहा, “शुभांशु शुक्ला का अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर बिताया गया समय उनके अनुभव का प्रमुख हिस्सा है और ये अगले दो वर्षों में शुरू होने वाले गगनयान मिशन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह उनके लिए अविस्मरणीय अनुभव रहा है, जिसमें उन्होंने कई प्रयोग किए हैं।”

उन्होंने आगे बताया कि, “गगनयान मिशन इस वर्ष के अंत में एक मानवरहित उड़ान के साथ शुरू होगा। इसके बाद दो और मानवरहित परीक्षण किए जाएंगे। अंत में, भारत का एक वायुयान चालक अंतरिक्ष में भेजा जाएगा, जो दो से सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में रहकर वापस लौट आएगा।”

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