बिजली निजीकरण के लिए लाये गये इलेक्ट्रिसिटी एक्ट का होगा जमकर विरोध

Lucknow : भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय द्वारा विद्युत वितरण के निजीकरण के लिए ड्राफ्ट इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2025 का प्रबल विरोध किया जाएगा। निजीकरण के नये ड्राफ्ट को देखते हुए पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय वापस लिया जाय।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति इस बिल का जमकर विरोध करेगाी और आर-पार की लड़ाई लड़ेगी। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय द्वारा सम्पूर्ण विद्युत वितरण क्षेत्र के निजीकरण के लिए कल जारी किये गए ड्राफ्ट इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2025 का विरोध करते हुए उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि सरकार को पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय तत्काल निरस्त करना चाहिए जो इस ड्राफ्ट बिल के प्राविधान के अनुसार सरकारी क्षेत्र में विद्युत वितरण निगमों को बनाए रखने की नीति का विरोधाभाषी है ।

संघर्ष समिति इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री को अलग से पत्र भेजेगी। उप्र सरकार के वर्तमान निर्णय के अनुसार पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अन्तर्गत आने वाले सभी सभी 42 जनपदों का निजीकरण कर उन्हें किसी निजी कंपनी को सौंपा जाएगा जिसका तात्पर्य यह होगा कि इन सभी जनपदों में विद्युत वितरण में निजी घरानों की मोनोपोली हो जाएगी ।

इसके विपरीत ड्राफ्ट इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2025 में यह प्राविधान है कि सरकारी क्षेत्र में काम कर रहे विद्युत वितरण निगमों को काम करने दिया जाएगा साथ ही निजी कंपनियों को सरकारी विद्युत वितरण निगमों के मौजूदा नेटवर्क को इस्तेमाल कर विद्युत वितरण के लिए विद्युत वितरण के लाइसेंस दिए जा सकेंगे।

निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के 317वें दिन बिजली कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन जारी रखा।

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