
मैलानी, लखीमपुर खीरी। जिले में साधन सहकारी समितियों पर खाद वितरण को लेकर मची मारामारी थमने का नाम नहीं ले रही है। किसान घंटों लाइन में लगकर परेशान हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सहकारिता विभाग में सचिवों के अचानक हुए तबादलों ने नया बवाल खड़ा कर दिया है। किसानों और स्थानीय लोगों में इसे लेकर गहरी नाराजगी देखी जा रही है।
अचानक तबादले से उठे सवाल
सूत्रों के मुताबिक सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक सहकारिता द्वारा बीते दिन करीब एक दर्जन सचिवों के तबादले किए गए। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा में साधन सहकारी समिति मैलानी का मामला आ गया है। बताया जा रहा है कि पूर्व में खाद की कालाबाजारी में पकड़े गए और निलंबित सचिव पवनेश वर्मा को दोबारा उसी समिति में तैनात कर दिया गया है। अचानक हुए इन तबादलों के पीछे भारी वसूली की बात सामने आ रही है।
पहले भी हो चुका विवाद
गौरतलब है कि 17 अक्टूबर 2024 को साधन सहकारी समिति मैलानी के सचिव पवनेश वर्मा को डीएपी खाद की कालाबाजारी में पकड़ा गया था। उस समय जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल और सीडीओ ने स्वयं संज्ञान लिया था। जांच में दोषी पाए जाने पर पवनेश वर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था।
तत्कालीन जिला कृषि अधिकारी अरविंद चौधरी ने जिलाधिकारी के अनुमोदन पत्र के आधार पर सचिव पवनेश वर्मा के खिलाफ 3/7 आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत दिनाँक 22 अक्टूबर2024 को मुकदमा भी मैलानी थाने में दर्ज कराया था। उस समय माना जा रहा था कि पवनेश वर्मा की दोबारा तैनाती उसी समिति में नहीं की जाएगी, जहां कालाबाजारी का गंभीर आरोप लगा हो।
किसानों में रोष, कतारें हुईं लंबी
इस समय जिले में खाद वितरण को लेकर पहले ही हाहाकार मचा है। समितियों पर सुबह से ही किसानों की लंबी-लंबी कतारें लग जाती हैं। घंटों इंतजार के बाद भी कई बार किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ता है। ऐसे माहौल में विवादित सचिव की पुनः तैनाती ने किसानों का गुस्सा और भड़का दिया है। किसान सवाल उठा रहे हैं कि जब सरकार और प्रशासन खाद की कालाबाजारी रोकने का दावा कर रहे हैं, तो फिर उसी व्यक्ति को क्यों वापस लाया गया, जिसने कालाबाजारी का काला धब्बा झेला है।
बिना पीओएस मशीन में चढ़ाए बेची थी खाद
किसानों का आरोप है कि निलंबन से पहले पवनेश वर्मा और समिति के लिपिक ने 550 बोरी (करीब 27.5 मैट्रिक टन) खाद बिना पीओएस मशीन में चढ़ाए ही चुनिंदा लोगों को बेच दी थी। आनन-फानन में कालाबाजारी कर दोनों मौके से फरार हो गए थे। उस समय मामला काफी तूल पकड़ा था और प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा था।
जांच की उठी मांग
किसानों और स्थानीय लोगों ने इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। लोगों का कहना है कि यदि सचिवों के तबादले में वसूली हुई है तो इसकी भी जांच होनी चाहिए। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर विवादित सचिव पवनेश वर्मा को तुरंत हटाया नहीं गया तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
यह भी पढ़े : भारत-चीन संबंधों से नेपाल को आपत्ति! ‘लिपुलेख’ के रास्ते व्यापार को लेकर ओली ने जताई नाराजगी