
भारत एक विशाल और विविधताओं से भरा देश है, जहां अनेक जाति, वर्ग, भाषा और सांस्कृतिक समूह एक साथ रहते हैं। इस विविधता के साथ-साथ भारत को अनेक सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है, जिनमें से बेरोज़गारी एक प्रमुख और विकट समस्या है।
बेरोज़गारी क्या है?
बेरोज़गारी का मतलब है – काम करने की इच्छा और योग्यता होने के बावजूद व्यक्ति को रोजगार न मिलना। भारत में बेरोज़गारी एक गंभीर चुनौती है, खासकर युवाओं के बीच, जो अपनी योग्यता और कौशल के अनुरूप नौकरी की तलाश में हैं। बेरोज़गारी न केवल आर्थिक विकास को प्रभावित करती है, बल्कि सामाजिक तनाव, गरीबी और असमानता को भी बढ़ावा देती है।
भारत में बेरोज़गारी के प्रकार
भारत में बेरोज़गारी मुख्यतः दो प्रकार की होती है:
- मौसमी बेरोज़गारी:
यह तब होती है जब कुछ विशिष्ट मौसमों में रोजगार के अवसर सीमित हो जाते हैं, जैसे कृषि मजदूरों के लिए। भारत में कई मजदूर सालभर समान रूप से काम नहीं कर पाते हैं, जिससे उनका आय स्थिर नहीं रहता। - प्रच्छन्न बेरोज़गारी:
इस प्रकार की बेरोज़गारी तब होती है जब किसी क्षेत्र या उद्योग में कार्यबल की संख्या ज़रूरत से अधिक होती है। ऐसे में लोगों को नौकरी तो मिलती है, लेकिन उनका श्रम सही मात्रा में उपयोग नहीं हो पाता। यह समस्या विशेष रूप से कृषि और अनौपचारिक क्षेत्रों में देखने को मिलती है।
भारत में बेरोज़गारी के कारण
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच रोजगार अवसरों का असंतुलन : ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सीमित होते हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में अवसर अधिक होने के बावजूद भी हर किसी के लिए पर्याप्त रोजगार उपलब्ध नहीं हो पाता।
- जनसांख्यिकीय चुनौतियां: भारत की युवा आबादी बहुत बड़ी है, जिससे रोजगार के अवसरों पर दबाव बढ़ता है।
- कौशल असंतुलन: कई युवाओं के पास ऐसे कौशल नहीं होते जो बाजार की मांग के अनुरूप हों, जिससे वे नौकरी पाने में असमर्थ रहते हैं।
- सीमित रोजगार सृजन: अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों में पर्याप्त रोजगार नहीं बन पाता, खासकर विनिर्माण और औद्योगिक क्षेत्रों में।
- सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाएं: कुछ सामाजिक मानदंड महिलाओं को रोजगार लेने या जारी रखने से रोकते हैं, जिससे महिलाओं की कार्य भागीदारी कम होती है।
- अनौपचारिक क्षेत्र की प्रधानता: भारत में रोजगार का बड़ा हिस्सा अनौपचारिक क्षेत्रों में होता है, जहाँ स्थिर और सुरक्षित नौकरियां नहीं मिल पातीं।
भारत में बेरोज़गारी कम करने के लिए रणनीतियाँ
1. कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण को बढ़ावा देना
आज के युग में कौशल ही रोजगार की सबसे बड़ी कुंजी है। सरकार और निजी संस्थानों को मिलकर युवाओं को उद्योग-आधारित, तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण देना चाहिए ताकि वे बदलती मांग के अनुसार खुद को तैयार कर सकें।
2. उद्यमिता और स्टार्टअप को प्रोत्साहित करना
भारत को एक स्टार्टअप हब बनाने के लिए उद्यमिता को बढ़ावा देना होगा। इसके लिए सरकार को स्टार्टअप्स के लिए आसान नियम, वित्तीय सहायता और इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित करने चाहिए।
3. विनिर्माण और औद्योगिक क्षेत्रों को सशक्त बनाना
‘मेक इन इंडिया’ और ‘पीएलआई योजना’ जैसी सरकारी पहलें घरेलू और विदेशी निवेश आकर्षित कर रही हैं। विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने से नई इकाइयां स्थापित होंगी और रोजगार के व्यापक अवसर मिलेंगे।
4. ग्रामीण रोजगार के अवसर बढ़ाना
भारत की अधिकांश आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। इसलिए कृषि में आधुनिक तकनीकों का उपयोग, ग्रामीण उद्योगों को प्रोत्साहन और कौशल विकास से ग्रामीण रोजगार बढ़ाना जरूरी है।
5. सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को प्रोत्साहित करना
सरकार और निजी क्षेत्र के बीच साझेदारी से बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ेगा, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इसके लिए कर प्रोत्साहन, निवेशकों के लिए आसान नीतियां और रोजगार उन्मुख योजनाओं का समर्थन जरूरी है।
6. डिजिटलीकरण और तकनीकी नवाचार का उपयोग
डिजिटल टेक्नोलॉजी रोजगार के नए अवसर पैदा कर रही है। डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना, गिग इकॉनमी और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को समर्थन देना रोजगार को बढ़ावा देगा।
7. शिक्षा और उद्योग के बीच तालमेल बढ़ाना
शिक्षा प्रणाली को उद्योग की जरूरतों के अनुरूप बनाना चाहिए। इंटर्नशिप, व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रमों को शिक्षा में शामिल कर युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करना आवश्यक है।