ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे ब्रह्मास्त्र ने डंसा नहीं….अखिलेश दुबे के इशारे पर चेला विपिन गुप्ता चलाता था ब्रह्मास्त्र

  • अपने ही अखबार के मालिकों के रसूखदार मित्र से मांग लिये थे पांच लाख रुपए
  • साली के साथ होटल गए रंगीनमिजाज मित्र को बीवी-साढ़ू के हाथ पकड़वाया था
  • उर्सला के मुख्य अधीक्षक से बनवाया फर्जी मेडिकोलीगल, फिर किया था ब्लैकमेल
  • मदद के बहाने दुष्कर्म पीड़ित को दोस्त बनाया, फिर होटल में बनाया था शिकार

भास्कर ब्यूरो
कानपुर। आखिरकार वसूली के ब्रह्मास्त्र का कमांडर विपिन गुप्ता भी जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया। ब्रह्मास्त्र की बुनियाद गढ़ने वाले साकेत दरबार के मुखिया अखिलेश दुबे पहले ही कैदखाने में छटपटा रहे हैं। जेल दाखिला से पहले पत्रकार विपिन गुप्ता ने सिलसिलेवार खाकी वर्दी को ब्रह्मास्त्र की कहानी सुनाई। दावा है कि, अखिलेश दुबे के इशारे पर रसूखदारों की फर्जी बदनाम कहानियां गढ़ने के बाद वाट्सएप ग्रुप पर प्रसारित होती थीं। इसके बाद शुरू होता था वसूली, उगाही और दरबारी बनाने का खेल। पुलिस ने ब्रह्मास्त्र से पीड़ितों की शिकायत मिलने पर एफआईआर दर्ज करने का ऐलान किया है। विपिन गुप्ता गिरफ्तार हुआ तो उसके तमाम कारनामे फिर हवा में तैरने लगे हैं।

साली के साथ होटल में मित्र को रंगेहाथ पकड़वाया था
किस्सा बड़ा रोचक है। विपिन गुप्ता के रंगीन-मिजाज पत्रकार मित्र का साली के साथ अफेयर था। फिलवक्त लखनऊ में कार्यरत उक्त पत्रकार वर्ष 2014 में कल्याणपुर के एक होटल में अपनी शादीशुदा साली से रोमांस करने गया था। इसी दरमियान विपिन ने रंगीन-मिजाज पत्रकार की पत्नी और साली के पति को नाजायज इश्क की खबर सुनाकर मौके पर बुला लिया। इसके बाद मोहब्बत में ठगे लोगों की जीजा-साली के साथ जमकर जूतम-पैजार हुई थी। इस घटना के बाद तत्कालीन एडीजीसी के घर पंचायत बुलाई गई, नतीजे में दगाबाज मुखबिर मित्र को निर्वस्त्र करके पीटा गया था।

अखबार मालिक के मित्र से मांगे पांच लाख रुपए
एक कहानी के मुताबिक, ब्रह्मास्त्र से पहले ही विपिन गुप्ता को उगाही की कोशिश के चक्कर में शहर के नामचीन अखबार के बोनसाई संस्करण से निकाला गया था। किस्सा वर्ष 2012 का है, जब विपिन गुप्ता ने अखबार मालिकों के मित्र और जाजमऊ क्षेत्र के प्रख्यात उद्योगपति पदम पुरस्कार प्राप्त चेहरे को वसूली के लिए टॉरगेट किया था। विपिन ने उगाही के लिए अखबार के संपादक के चैंबर में रखे डॉट फोन का इस्तेमाल किया। मित्र को अखबार के नंबर से रंगदारी का फोन आने की जानकारी मिलते ही मालिकों ने पड़ताल कराई तो दफ्तर के पिछवाड़े वाली सीढ़ियों से उतरते वक्त विपिन कैद हो गया था। नतीजे में चंद मिनटों में उसकी संस्थान से विदाई हुई थी।

फर्जी मेडिकोलीगल और डॉक्टर की गिरफ्तारी
शहर के कप्तान से यशस्वी यादव का चेला बन चुका विपिन गुप्ता ने उर्सला के तत्कालीन चीफ मेडिकल सुप्रीटेंडेंट (सीएमएस) डॉ। शैलेंद्र तिवारी को निशाना बनाया। विश्वास जीतकर विपिन ने किसी का मेडिकल प्रमाण-पत्र बनवाया और अगले दिन खबर छापी कि, पैसा लेकर बनाया जाता है फर्जी मेडिकल सार्टिफिकेट। कथित तौर पर विपिन ने खबर छापने से पहले डॉ. शैलेंद्र तिवारी से मोटी रकम मांगी थी, इंकार करने पर खबर प्रकाशित हुई। खबर छपने के अगले दिन 24 अगस्त 2023 शनिवार को पुलिस ने छापा मारकर शैलेंद्र तिवारी को गिरफ्तार कर लिया था। जेल से आने के बाद साकेत दरबार में विपिन को दक्षिणा मिली तो उसने बयान बदलकर शैलेंद्र तिवारी को राहत मुहैया कराई थी।

दुष्कर्म पीड़ित का दोस्त बनाकर शिकार बनाया
शहर में आईपीएस आशुतोष पाण्डेय बतौर आईजी तैनात थे। मेडिकल कालेज कांड के कारण कप्तान यशस्वी यादव का लखनऊ तबादला हो चुका था। इसी दरमियान आईजी के दफ्तर में एक दुष्कर्म पीड़ित फरियाद लेकर आई। विपिन ने मदद का झांसा देकर उसे दोस्त बना लिया। इसके बाद उस लड़की ने कुछ दिन बाद विपिन पर नशीली कोल्डड्रिंक पिलाकर कल्याणपुर के होटल में दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। इस मामले के विवेचन थे तत्कालीन क्षेत्राधिकारी पवित्र मोहन त्रिपाठी। एफआईआर के बाद विपिन लखनऊ पहुंचकर यशस्वी यादव के चरणों में लोट गया। कहते हैं कि यशस्वी यादव की पैरवी पर लड़की को समझा-बुझाकर मामला रफा-दफा किया गया था।

दरबारी बनाने के लिए चलाया था ब्रह्मास्त्र
कानपुर। बदनामी की फर्जी कहानियों के जरिए चेला बनाने और उगाही करने के लिए किसी वक्त दरबार के हुक्म पर वाट्सएप पर ब्रह्मास्त्र नामक ग्रुप बनाकर शहर के तमाम चर्चित चेहरों को दरबार में हाजिरी लगाने के लिए मजबूर किया गया था। आका के हुक्म पर दरबारी पत्रकार विपिन गुप्ता ने पर्दे की ओट से ऑपरेशन को कई महीनों तक अंजाम दिया था। आखिरकार राजधानी में कार्यरत कनपुरिया पत्रकारों की इज्जत पर कीचड़ उछालने की गलती हुई और सर्विलांस ने ब्रह्मास्त्र के कारीगर को हरवंशमोहाल से उठा लिया। तफ्तीश-पूछताछ में फिलहाल जेल में बंद आका का नाम सामने आया तो रसूख का इस्तेमाल करते हुए गोमतीनगर थाने में 151 में चालान कराकर चेला को बचा लिया था, लेकिन ब्रह्मास्त्र तरकश में सदैव के लिए लौट गया।

दरअसल, बदनामी के जरिए उगाही और दरबारी बनाने का रिवाज पांच बरस पहले शुरू हुआ था। एक दिन वाट्सएप पर ब्रह्मास्त्र नामक ग्रुप अनजान मोबाइल नंबर से बनाया गया और शहर के सभी बड़े अधिकारियों के साथ सियासत-सामाजिक और पत्रकारिता के लगभग सभी चेहरों के साथ अखिलेश दुबे को जोड़ा गया। फिर फर्जी-असली बदनाम कहानियों को परोसने का सिलसिला चला। उसी दौर में शहर में प्रतिष्ठित परिवारों के कुछ रईसजादों को सिगरेट-शराब के साथ कैमरों में कैद किया गया। कुछ को स्कूल बंक करने के बाद गर्लफ्रेंड के संग घूमते-पिक्चर देखते तो कुछ कारोबारियों को होटल में गर्लफ्रेंड संग जाते-निकलते कैद किया गया। पहले वाट्सएप पर पर्सनल फोटो भेजकर उगाही की कोशिश हुई, यदि दबाव काम नहीं आया तो ब्रह्मास्त्र के जरिए सोशल बदनामी। ऐसे में तमाम रईसजादों और धन्नासेठों से ब्लैकमेलिंग के जरिए उगाही हुई थी।

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