
Lucknow : ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन केंद्रीय विद्युत मंत्रालय और केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के साथ मिली भगत में अपना समांतर सेक्रेटेरिएट चला रहा है और संपूर्ण ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण की गुपचुप योजना तैयार की जा रही है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने इस बाबत ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन के सचिवालय के पत्र व्यवहार को सार्वजनिक करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन की जानकारी दी।
संघर्ष समिति ने बताया कि ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन के डायरेक्टर जनरल आलोक कुमार ने 09 सितंबर देश के सभी ऊर्जा निगमों के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशकों को एक पत्र भेजा है, जिस पत्र से बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है कि केंद्रीय विद्युत मंत्रालय और केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की शह पर ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन ऊर्जा निगमों के कार्य में सीधे दखलंदाजी कर रहा है। आलोक कुमार अपने पत्र में देश के विभिन्न ऊर्जा निगमों से डाटा किन अधिकारों के तहत मांग रहे हैं।

यह बहुत ही गंभीर मामला है और अब यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण के लिए ही ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन बनाया गया है और यह एसोशिएशन सरकार और निजी घरानों के बीच बिचौलिए का काम कर रही है।
फेडरेशन और नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स इस मामले को केंद्रीय विद्युत मंत्री मनोहर लाल खट्टर के सामने शीघ्र रखेगी। ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन के सेक्रेटेरिएट की दखलंदाजी तत्काल बंद न की गई और ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन से जुड़े हुए ऊर्जा निगमों के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक पद से न हटाए गए तो देश के 27 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर इसके विरोध में सड़क पर उतरकर आंदोलन प्रारंभ करने के लिए बाध्य होंगे।
ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन के डायरेक्टर जनरल आलोक कुमार ने लिखा है कि केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने 08 सितंबर को एक मीटिंग किया था जिसमें ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन को भी बुलाया गया था ।
इस मीटिंग में केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन से यह कहा कि वह विद्युत वितरण, ट्रांसमिशन और उत्पादन में कॉस्ट रिडक्शन के लिए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण को एक सुझाव दें। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की मीटिंग में यह भी तय हुआ कि इस बाबत ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन देश के सभी ऊर्जा निगमों से इनपुट डाटा मांगे और प्रस्ताव बनाए। सरकारी काम में सोसाइटी एक्ट के अंतर्गत रजिस्टर्ड एक संस्था की इस प्रकार की दखलंदाजी देश के इतिहास में पहली बार हो रही है।
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