लद्दाख को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय का बड़ा फैसला, लेफ्टिनेंट गवर्नर से छीन ली ये पावर

लद्दाख में प्रशासनिक कामकाज से जुड़ा एक बड़ा फैसला लेते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) के साथ–साथ कई स्थानीय अधिकारियों से भी महत्वपूर्ण वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियाँ वापस ले ली हैं। अब 100 करोड़ रुपये तक की योजनाओं और परियोजनाओं को मंजूरी देने का अधिकार सीधे गृह मंत्रालय के पास होगा, जो पहले LG के पास था।

क्या बदला? कौन-सी शक्तियाँ हुई वापस

नई गाइडलाइंस के तहत:

  • LG की 100 करोड़ रुपये तक की स्कीम/प्रोजेक्ट को मंजूरी देने की शक्ति MHA को ट्रांसफर कर दी गई है।
  • एडमिनिस्ट्रेटिव सेक्रेटरी, जिन्हें पहले 20 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं की मंजूरी का अधिकार था, अब वह शक्ति भी गृह मंत्रालय के पास होगी।
  • चीफ इंजीनियर, डिपार्टमेंट हेड, डिप्टी कमिश्नर और सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर जैसी स्थानीय प्रशासनिक इकाइयों को 3 करोड़ से 10 करोड़ रुपये तक की मंजूरी देने की जो शक्तियाँ मिली थीं, वे भी वापस ले ली गई हैं।

ये सभी अधिकारी लेह और कारगिल हिल डेवलपमेंट काउंसिल के CEO भी होते हैं, लेकिन मौजूदा परिस्थिति में वे इन शक्तियों का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे थे।

लेह हिल काउंसिल भंग, कारगिल काउंसिल जारी

चुनाव में देरी के कारण लेह हिल काउंसिल का पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद वह समाप्त हो चुकी है, जबकि कारगिल हिल काउंसिल यथावत बनी हुई है
लेह काउंसिल की शक्तियाँ अस्थायी रूप से डिप्टी कमिश्नर, लेह को सौंपी गई हैं।

इसी दौरान, चीफ इंजीनियर को 10 करोड़ और सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर को 3 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं की अनुमति देने वाली शक्तियाँ भी MHA को पुनः सौंप दी गई हैं।

MHA ने अपने आदेश में क्या कहा?

गृह मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि:

  • सभी नए प्रोजेक्ट या स्कीम अब MHA को मंजूरी के लिए भेजे जाएंगे।
  • इन प्रस्तावों को लद्दाख के प्लानिंग, डेवलपमेंट एंड मॉनिटरिंग डिपार्टमेंट के माध्यम से आगे बढ़ाया जाएगा।
  • हालांकि, जिन परियोजनाओं को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है, टेंडर हो चुका है या जो कार्य प्रगति पर हैं – वे पूर्व शक्तियों के तहत ही चलते रहेंगे।

किन-किन अधिकारियों के पास क्या शक्तियाँ बचीं?

आदेश में यह भी कहा गया है कि:

  • LG लद्दाख के पास आकस्मिक और विविध खर्चों की मंजूरी का अधिकार रहेगा, बशर्ते यह जनरल फाइनेंशियल रूल्स (GFR) के भीतर हो।
  • चीफ सेक्रेटरी के लिए सीमा: 1 करोड़ रुपये
  • फाइनेंस सेक्रेटरी के लिए सीमा: 75 लाख रुपये
  • एडमिनिस्ट्रेटिव सेक्रेटरी: 50 लाख रुपये
  • हेड ऑफ डिपार्टमेंट (HoD): 30 लाख रुपये

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