गांवों में परिवार नियोजन की अलख जगा रही “उम्मीद” परियोजना

  • उम्मीद परामर्श केंद्रों से मिल रही “बास्केट ऑफ चॉइस”
  • ग्राम प्रधान निभा रहे अहम भूमिका
  • पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया टीम ने परखी जमीनी हकीकत

बहराइच : पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया और स्वास्थ्य विभाग ने मोबियस फाउंडेशन के वित्तीय सहयोग से जनपद के नौ सीएचसी पर “उम्मीद परिवार नियोजन परामर्श कॉर्नर” स्थापित किया है। इन केंद्रों के माध्यम से मरीजों व तीमारदारों को आधुनिक परिवार नियोजन साधनों की जानकारी और सेवाएं दी जाती हैं। साथ ही, ग्राम प्रधानों व ब्लॉक अधिकारियों के सहयोग से स्वास्थ्य मेले आयोजित कर बाल विवाह और कम उम्र में गर्भधारण के जोखिमों पर जागरूकता बढ़ाई जाती है। कार्यक्रम की प्रगति व चुनौतियों के आकलन के लिए पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की टीम ने जरवल ब्लॉक का दौरा कर स्वास्थ्य अधिकारियों संग चर्चा की।

पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की राज्य व केंद्रीय टीम ने धनसरी गांव का दौरा कर समुदाय में परिवार नियोजन जागरूकता का आकलन किया। टीम के सीनियर प्रोग्राम इम्प्लीमेंटेशन एंड कम्युनिटी इंगेजमेंट लीड विजित राय ने बताया कि 20 वर्ष से पहले गर्भधारण और दो बच्चों के बीच तीन साल से कम अंतर माँ व बच्चे के लिए जोखिम भरा हो सकता है। इसे रोकने के लिए “उम्मीद परियोजना” के तहत सीएचसी स्तर पर परामर्श केंद्र और गांवों में स्वास्थ्य मेले आयोजित किए जा रहे हैं, जहां बाल विवाह के दुष्परिणाम, कानूनी प्रावधान और परिवार नियोजन के महत्व की जानकारी दी जाती है।

ग्राम प्रधान निभा रहे अहम भूमिका-
जीपीओ रामबरन यादव ने बताया कि इस अभियान में जरवल ब्लॉक के करनई ग्राम प्रधान इमरान और कम्युनिटी चैम्पियन सुरेश ने सराहनीय योगदान दिया है। इमरान ने एक बाल विवाह रोककर इससे जुड़ी कानूनी जानकारी देकर लोगों को जागरूक किया, वहीं सुरेश ने दो बाल विवाहों पर रोक लगाई और परिवार नियोजन अपनाने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित किया। ये कम्युनिटी चैम्पियन स्वास्थ्य और परिवार नियोजन को बढ़ावा देने में भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

विशेष कूपन से परामर्श सेवाओं का विस्तार-
जरवल सीएचसी अधीक्षक डॉ. कुंवर रीतेश ने बताया कि सीएचसी स्टाफ नर्सों, अर्श काउंसलर और सभी आशा व एएनएम को परिवार नियोजन परामर्श और सेवाओं के लिए प्रशिक्षित किया गया है। यहां “उम्मीद परिवार नियोजन परामर्श कॉर्नर” में योग्य दंपतियों को मार्गदर्शन दिया जाता है। परामर्श केंद्र की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए ओपीडी में आने वाले मरीजों को विशेष कूपन दिए जाते हैं, जिससे वे दवा लेने के साथ परिवार नियोजन की जानकारी भी प्राप्त कर सकें। स्टाफ नर्स संगीता के अनुसार, प्रतिदिन 10-12 दंपतियों को परामर्श दिया जा रहा है।

साधनों के उपयोग में बढ़ोतरी-
बीसीपीएम सोनी जायसवाल ने बताया कि उम्मीद परामर्श केंद्रों के प्रभाव से परिवार नियोजन साधनों के उपयोग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। एचएमआईएस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में महिला नसबंदी में 11%, कॉपर-टी में 73%, प्रसव पश्चात कॉपर-टी में 15%, माला-एन में 8%, कंडोम में 42%, छाया में 32%, और अंतरा इंजेक्शन में 19% की वृद्धि दर्ज की गई है।

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