
जयपुर : राजधानी जयपुर में इन दिनों कुत्तों के हमलों से लोग डरे हुए हैं। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से लगातार डॉग अटैक की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे रेबीज जैसी घातक बीमारी का खतरा भी बढ़ गया है। सवाई मानसिंह अस्पताल (SMS Hospital) के रेबीज डिपार्टमेंट में बीते तीन महीनों में 2000 से अधिक डॉग बाइट केस दर्ज किए गए हैं।
रेबीज का खतरा – इलाज में देरी बन सकती है जानलेवा
चिकित्सकों का कहना है कि डॉग्स के काटने के बाद तुरंत इलाज जरूरी होता है, वरना मरीज रेबीज का शिकार होकर अपनी जान गंवा सकता है। एंटी रेबीज क्लिनिक के इंचार्ज डॉ. महेश वर्मा के अनुसार, उनके पास आने वाले 90 प्रतिशत मरीज डॉग बाइट के शिकार होते हैं।
बच्चे अधिक निशाना बनते हैं
डॉ. वर्मा बताते हैं कि बच्चे आमतौर पर डॉग्स के आसान टारगेट होते हैं, और अक्सर खेलते समय वे डॉग्स के संपर्क में आ जाते हैं। उन्होंने कहा, “हर कुत्ते में रेबीज नहीं होता, लेकिन अगर कोई कुत्ता पहले से संक्रमित है और किसी अन्य कुत्ते को काट लेता है, तो वह वायरस फैल सकता है।”
जागरूकता की भारी कमी
अस्पताल प्रशासन के अनुसार, डॉग बाइट के मामलों में आज भी लोगों को प्राथमिक उपचार की सही जानकारी नहीं है। यही कारण है कि कई बार मरीज सही समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते, जिससे स्थिति गंभीर हो जाती है। जल्द से जल्द घाव को साफ करना, टीका लगवाना और फॉलो-अप डोज लेना बेहद जरूरी होता है।
जरूरी है नगर निगम की कार्रवाई
शहर में आवारा डॉग्स की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन नगर निगम की ओर से इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। चिकित्सकों ने प्रशासन से नसबंदी अभियान तेज करने और स्ट्रे डॉग्स की मॉनिटरिंग बढ़ाने की मांग की है।