आखिरकार ताजमहल का कारीगर सलाखों के पीछे : फिल्म में घाटा होने के बाद कई बैंकों को लगाई थी चपत

प्रयागराज से दबोचा गया साढ़े तीन करोड़ की ठगी करने वाला इरशाद आलम…

– फिल्म में घाटा होने के बाद कई बैंकों को लगाई थी चपत
– कूटरचित दस्तावेज से बना है सरकारी जमीन का मालिक
– अब तक साढ़े तीन करोड़ रुपए वसूल चुका इरशाद आलम


कानपुर। आखिरकार इरशाद आलम के गिरेबां तक खाकी के हाथ पहुंच गए। सरकारी जमीन को पैतृक जायदाद बताकर खरीद-फरोख्त का झांसा देकर साढ़े तीन करोड़ की ठगी के आरोपी इरशाद आलम को बेकनगंज पुलिस ने प्रयागराज से दबोच लिया। गिरफ्तारी के बचने के लिए इरशाद प्रयागराज के जार्ज टाउन में होटल में दुबका था। उसके कब्जे से सात मोबाइल, सोलह डेबिक-क्रेडिट कार्ड और 25 हजार रुपए नगद बरामद हुए हैं। होटल की पार्किंग में खड़ी उसकी वैन्यू कार को भी पुलिस ने जब्त कर लिया है। गौरतलब है कि, इरशाद के ऊपर विभिन्न थानों में कई मामले दर्ज हैं। साथ ही सीबीआई और ईडी में दर्ज मुकदमों के कारण इरशाद को जेल में वक्त गुजारना पड़ा था।


सर्विलांस के जरिए दबोचा गया इरशाद
तीन दिन पहले साढ़े तीन करोड़ की ठगी की एफआईआर दर्ज होने के बाद बेकनगंज पुलिस को इरशाद की तलाश थी। इंस्पेक्टर मतीन ने नवाबगंज के सिग्नेचर अपार्टमेंट में छापा मारा, लेकिन इरशाद लापता मिला। इसके बाद सर्विलांस टीम के जरिए खोजबीन शुरू हुई। इरशाद ने अपने ज्यादातर फोन स्विच-ऑफ कर दिये थे, लेकिन उसका बेहद प्राइवेट नंबर पुलिस के हाथ लगा तो सर्विलांस को सक्रिय कर दिया गया। मंगलवार की रात इरशाद को लोकेशन प्रयागराज में जार्ज टाउन में मिली तो बेकनगंज पुलिस ने देरी बगैर होटल कासा द ग्रांड बुटिक पर दस्तक देकर इरशाद के ठहरने की जानकारी को पुख्ता किया। इसके बाद छापा मारकर होटल के कमरे से इरशाद को उसके साथी लखनऊ निवासी अनवर शेख उर्फ रेहान के साथ दबोच लिया। पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तारी के समय इरशाद के कब्जे से सात मोबाइल फोन बरामद हुए हैं। इसके अलावा विभिन्न बैंकों के 16 डेबिक-क्रेडिट कार्ड और 25 हजार रुपए नगद मिले हैं। होटल की पार्किंग से इरशाद की वैन्यू कार यूपी-78-एचआर-7404 भी जब्त हुई है।


बीस साल पहले बनाई थी ताजमहल
तकरीबन बीस साल पहले ताजमहल फिल्म बनाने के बाद कंगाल-तंगहाल हुए इरशाद आलम ने शान-ओ-शौकत के लिए जाजमऊ के गज्जूपुरवा मौजा की सरकारी जमीन के साथ-साथ पुश्तैनी जमींदारों की जमीन को कब्जा करने के बाद खुद को भूमि-मालिक बताकर तीन लोगों को ठगा है। इरशाद आलम के अब्बू ने अरसा पहले जाजमऊ के गज्जूपुरवा में तत्कालीन कब्जेदारों से दो बीघा जमीन हासिल करने के बाद टेनरी लगाई थी। इंतकाल के बाद इरशाद और उसके भाई सपा नेता मेहताब ने टेनरी चलाई, लेकिन बाद में पारिवारिक विवाद में टेनरी में ताला लग गया। मेहताब का इंतकाल हुआ और जमीन इरशाद के कब्जे में बनी रही। तफ्तीश में मालूम हुआ कि, कूटरचित दस्तावेजों के जरिए इरशाद खुद को दो बीघा से ज्यादा जमीन का मालिक बताता है, लेकिन सरकारी कागजात में उसके नाम उक्त रकबे में सिर्फ 50 गज जमीन दर्ज है। दस्तावेजों की गवाही है कि, इरशाद ने तीन लोगों से तीन करोड़ सत्तर लाख रुपए वसूले हैं, लेकिन गले में कानून का फंदा कसने पर दमदार पार्टी को 15 लाख रुपए वापस करने पड़े थे। सबसे ज्यादा रकम शोएब अंडे वाले से वसूली गई है।

अफसरों की कृपा से गिरफ्तारी नहीं हुई थी
इरशाद आलम के ऊपर बैंकों से धोखाधड़ी के तीन मामलों में सीबीआई जांच जारी है, जबकि ईडी भी तीन मामलों की जांच में जुटी है। इसके अतिरिक्त चकेरी और बेकनगंज थाने में दो-दो, जबकि बाबूपुरवा और जाजमऊ थाने में एक-एक एफआईआर दर्ज है। सीबीआई ने एक मर्तबा इरशाद आलम को हिरासत में लिया था, लेकिन अन्य मामलों में संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज होने के बावजूद उसकी गिरफ्तारी से खाकी वर्दी परहेज करती रही। सूत्रों के मुताबिक, राजधानी में चुनिंदा आला अधिकारियों की कृपा के कारण इरशाद आलम के हौंसले बुलंद थे। इस मर्तबा पुलिस कमिश्नर की सख्ती के कारण इरशाद की दाल नहीं गलने पाई है। पड़ताल करने पर मालूम हुआ कि, इरशाद आलम गज्जूपुरवा की आराजी संख्या 303, 304, 305, 347 का खुद को मालिक बताता है, जबकि सरकारी दस्तावेजों में आराजी संख्या 303, 304, 305 बतौर सरकारी भूमि दर्ज है। आराजी संख्या 347 में सिर्फ 50 गज का मालिकाना हक इरशाद आलम के पास है, जबकि इसी आराजी का बड़ा भू-भाग जाजमऊ के पुराने जमींदार परिवार के वारिसों – सैय्यद खालिद कमाल, सैय्यद आसिम कमाल और सैय्यद उर्फी कमाल के नाम दर्ज है।

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