सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों की खुदकुशी रोकने के लिए गठित की टास्क फोर्स

सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों की खुदकुशी के बढ़ते मामलों को लेकर एक टास्क फोर्स गठित की है। इस टास्क फोर्स का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे। कोर्ट ने देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों, कोचिंग और हॉस्टल में छात्र-छात्राओं की खुदकुशी की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की है। हाल ही में गुजरात की एक लॉ यूनिवर्सिटी, आईआईटी पटना, ओडिशा के एक इंजीनियरिंग कॉलेज और केरल के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में छात्राओं ने खुदकुशी कर ली, जो पढ़ाई के दबाव, रैगिंग, भेदभाव और यौन शोषण जैसी समस्याओं का सामना कर रहे थे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छात्रों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए यह टास्क फोर्स गठित की गई है, ताकि संस्थानों और अभिभावकों के साथ मिलकर छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश तय किए जा सकें। इस टास्क फोर्स की अध्यक्षता रिटायर्ड जस्टिस एस रवींद्र भट करेंगे, और इसमें उच्च शिक्षा विभाग के सचिव, सामाजिक न्याय सचिव, महिला एवं बाल विकास सचिव और कानून सचिव भी शामिल होंगे।

कोर्ट ने इस टास्क फोर्स से छात्रों की खुदकुशी के कारणों का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की रिपोर्ट चार महीने में पेश करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि आईआईटी दिल्ली के हॉस्टल में 2023 में दो छात्रों की खुदकुशी के मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की थी, जबकि उनके माता-पिता ने आरोप लगाए थे कि शोषण के कारण बच्चों ने यह कदम उठाया। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी चाहिए थी और केवल जांच से यह नहीं पता चल पाता कि खुदकुशी के पीछे असल कारण क्या था।

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