
लखनऊ : निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के 250 दिन पूरे होने पर सोमवार को बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं ने प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन कर आक्रोश व्यक्त किया।
बिजली कर्मियों ने संकल्प लिया कि जब तक निजीकरण का निर्णय निरस्त नहीं किया जाता और समस्त उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां वापस नहीं ली जाती संघर्ष जारी रहेगा। राजधानी लखनऊ में मध्यांचल मुख्यालय पर भारी बारिश के बीच बिजली कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
संघर्ष समिति के केन्द्रीय पदाधिकारियों ने कहा कि शीर्ष प्रबन्धन की निजी घरानों के साथ मिलीभगत है और आठ माह से निजीकरण न कर पाने के कारण हताश प्रबंधन बिजली कर्मियों का लगातार उत्पीड़न कर रहा है। संघर्ष समिति ने कहा कि उत्पीड़न का उद्देश्य बिजली कर्मियों का मनोबल तोड़ना है किंतु बिजली कर्मी किसी कीमत पर निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे। निजीकरण के नाम पर 55 साल की उम्र और डाउन साइजिंग के नाम पर हटाये गये सभी संविदा कर्मी बहाल किये जाय। उत्पीड़न की दृष्टि से बिजली कर्मियों के किये गये सभी ट्रांसफर निरस्त किये जाय।
फेसियल अटेंडेंस के नाम पर जून और जुलाई माह का रोका गया वेतन तत्काल बिजली कर्मियों को दिया जाय। उत्पीड़न के नाम पर स्टेट विजिलेंस की जांच कराकर शीर्ष पदाधिकारियों के विरुद्ध की गई फर्जी एफआईआर वापस ली जाए।
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