
kajal soni
उत्तर प्रदेश में अब एक तिथि और एक त्योहार का नियम लागू होगा, जिससे राज्य के सभी व्रतों, पर्वों और अवकाशों के बीच भेद को समाप्त किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर काशी विद्वत परिषद ने इस नियम का खाका तैयार कर लिया है। अब, प्रदेश के सभी पंचांगकारों के साथ सहमति के बाद, इस दिशा में कार्य शुरू हो चुका है। 2026 में एक नया पंचांग सामने आएगा, जो पूरे प्रदेश के लिए एक तिथि और एक त्योहार का निर्धारण करेगा।
यह पंचांग विशेष रूप से “नवसंवत्सर” पर आम जनता के लिए लोकार्पित किया जाएगा, और इसे अन्नपूर्णा मठ मंदिर द्वारा प्रकाशित किया जाएगा। काशी के विद्वानों के साथ मिलकर तैयार की गई इस परियोजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि त्योहारों और तिथियों के निर्धारण में किसी भी प्रकार का मतभेद न हो। 2026 में प्रकाशित होने वाला यह पंचांग “संवत 2083” यानी 2026-27 के लिए होगा।
काशी के पंचांगों में एकरूपता का समापन
काशी हिंदू विश्वविद्यालय, काशी विद्वत परिषद और काशी के पंचांगकारों ने पिछले तीन वर्षों की मेहनत के बाद काशी के पंचांगों के अंतर को समाप्त कर दिया है। अब काशी के पंचांगों में एकरूपता होगी, जिसकी शुरुआत चैत्र प्रतिपदा से हुई है। इसमें बीएचयू द्वारा तैयार किया गया “विश्व पंचांग”, ऋषिकेश, महावीर, गणेश आपा, आदित्य और ठाकुर प्रसाद के पंचांग शामिल होंगे।
त्योहारों में होने वाला अंतर अब समाप्त होगा
इस एकरूपता के साथ ही अब उत्तर प्रदेश में बड़े त्योहारों के दिन और तिथियों में होने वाला अंतर समाप्त हो जाएगा। इनमें चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, नवरात्र, रामनवमी, अक्षय तृतीया, गंगा दशहरा, रक्षाबंधन, श्रावणी, जन्माष्टमी, पितृपक्ष, महालया, विजयादशमी, दीपावली, अन्नकूट, नरक चतुर्दशी, भैया दूज, धनतेरस, कार्तिक एकादशी, देवदीपावली, शरद पूर्णिमा, सूर्य षष्ठी, खिचड़ी और होली जैसे प्रमुख त्योहार शामिल हैं।
बीएचयू के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर विनय पांडेय का कहना है कि पंचांगों की एकरूपता से समाज में उत्पन्न होने वाला भ्रम दूर होगा। पहले त्योहारों के निर्धारण में विभिन्न पंचांगों के बीच अंतर के कारण लोगों को भ्रम होता था, लेकिन अब उदया तिथि, मध्याह्नव्यापिनी, प्रदोषव्यापिनी जैसे महत्वपूर्ण घटकों के आधार पर सही तिथि का निर्धारण किया जाएगा, जिससे सभी के लिए एक स्पष्ट और समान नियम बनेगा।
इस पहल से राज्य में समाजिक समरसता बढ़ेगी और धार्मिक उत्सवों को लेकर होने वाली उलझनें समाप्त होंगी।