फिरोजाबाद जिले के सरकारी मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य सेवाओं की असलियत का एक और मामला सामने आया है, जब एक मरीज के तीमारदार को अपनी जान की जोखिम में डालते हुए उसे कंधे पर उठाकर करीब आधा किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। यह घटना 32 वर्षीय एक मरीज के साथ घटी, जिसे ट्रामा सेंटर से सीटी स्कैन के लिए लाया गया था।
सीटी स्कैन प्रक्रिया पूरी होने के बाद मरीज को वापस वार्ड तक ले जाने के लिए न तो एम्बुलेंस उपलब्ध थी और न ही व्हीलचेयर जैसी कोई सुविधा। परेशान तीमारदार ने मजबूरी में मरीज को अपने कंधे पर उठाकर अस्पताल के वार्ड तक पहुंचाया। तीमारदार ने बताया कि इस दौरान उन्हें कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन कोई भी अस्पताल स्टाफ या प्रशासन से सहायता नहीं मिली।
इस घटना ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्थाओं को उजागर किया है और सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत को सामने लाया है। हालांकि, अस्पताल प्रशासन इस मामले पर अब तक चुप्पी साधे हुए है। यह घटना सवाल खड़ा करती है कि क्या सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का वादा केवल कागजों तक ही सीमित है?