
- चेयरमैन के जेल विकल्प ने दिलाई आपातकाल की याद
लखनऊ। पावर कारपोरेशन के चेयरमैन द्वारा निजीकरण के लिए विद्युत नियामक आयोग को भेजे गए झूठे आंकड़ों को विद्युत नियामक आयोग ने नकार दिया है और निजीकरण के आरएफपी डॉक्यूमेंट को वापस लौटा दिया है। इससे प्रबंधन पूरी तरह बौखला गया है और अब बिजली कर्मियों से रजिस्टर पर जेल जाने वालों को विकल्प देने की धमकी पर उतर आया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने चेयरमैन के बयान को निंदनीय बताया।
पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन डॉ आशीष गोयल द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिजली कर्मियों को धमकी देते हुए जेल का विकल्प पत्र भरने के बयान पर संघर्ष समिति ने कहा कि यह बयान बाजी कर पावर कारपोरेशन के चेयरमैन ने 50 साल बाद एक बार फिर आपातकाल की याद ताजा कर दी है। आपातकाल की 50वीं जयंती पर प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर बिजली कर्मियों ने विरोध सभा कर संकल्प व्यक्त किया कि अन्याय, दमन और सार्वजनिक संपत्ति की लूट के विरोध में सामूहिक जेल भरो आंदोलन चलाएंगे और टेंडर होते ही यह आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा। संघर्ष करते हुए जेल भरो आंदोलन चलाने में बिजली कर्मी कभी भी पीछे नहीं रहे हैं। वर्ष 2000 की हड़ताल में लगभग 25000 बिजली कर्मियों ने प्रदेश की जेल को भर दिया था। जरूरत पड़ी तो 2025 में एक बार फिर इसे दोहराया जाएगा। धमकियों से बिजली कर्मी डरने वाले नहीं है।