
बिहार विधानसभा चुनाव में RJD 143 सीटों पर लड़कर में महज 25 में ही जीत हासिल कर पाई। और महागठबंधन कुल 35 पर सिमट ही गया। एनडीए की 202 सीटों वाली ताकतवर वापसी के बीच RJD का यह ‘ब्लैकआउट’ पार्टी के लिए तो झटका था ही, लेकिन असली बम फटा लालू प्रसाद यादव के परिवार में। चुनाव नतीजों के एक दिन बाद, लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने राजनीति छोड़ने और ‘परिवार त्याग’ का ऐलान कर दिया। इसके पीछे जो ‘चप्पल कांड’ का खुलासा हुआ, वह किसी बॉलीवुड फिल्म का क्लाइमैक्स सीन लगता है – लेकिन हकीकत में यह सालों से सुलगते विवाद का विस्फोट है। बाहर मुस्कुराहटें, अंदर खींचतान: यह सिर्फ बहन-भाई का झगड़ा नहीं, बल्कि RJD के भविष्य, टिकट बंटवारे और सत्ता की कमान किसके हाथ में – इस बात की लड़ाई है।
रोहिणी ने पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से कहा, “मेरा कोई परिवार नहीं बचा। तेजस्वी यादव, संजय यादव और रमीज ने मुझे घर से निकाल दिया। उनका नाम लो तो गालियां मिलेंगी, अपमान होगा और चप्पल उठाकर मारने की कोशिश होगी।” यह बयान वायरल होते ही सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया। X पर #LaluFamilyFeud ट्रेंड करने लगा, जहां यूजर्स इसे ‘यादव राजवंश का पतन’ बता रहे हैं। लेकिन यह ‘कांड’ अचानक नहीं फूटा – जड़ें गहरी हैं।
अब इस विवाद हिस्ट्री पर नजर डालते है रोहिणी आचार्य, सिंगापुर की डॉक्टर और लालू की ‘किडनी डोनर’ बेटी (2022 में पिता को किडनी दान की), 2023 से सोशल मीडिया पर सक्रिय हुईं। शुरू में पोस्ट सरकारी नीतियों और विपक्ष पर तीखे थे, लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव से पहले उनकी चुभन तेजस्वी के फैसलों पर शिफ्ट हो गई। सारण में राजीव प्रताप रूडी से 1.5 लाख वोटों से हारने के बाद रोहिणी ने पार्टी की ‘मूल विचारधारा’ – गरीब, दलित, पिछड़े और मुस्लिम फोकस – से भटकने का आरोप लगाया।
फिर आया वो दौर जब महागठबंधन सरकार यानी तेजस्वी और नितीश में आयी दरार, तब तेजस्वी उपमुख्यमंत्री हुआ करते थे, लेकिन रोहिणी को लगा कि नौकरियों की रफ्तार धीमी है। जातीय जनगणना पर वह तेजस्वी से ज्यादा आक्रामक रहीं। हालाँकि शराबबंदी पर दोनों के बीच मतभेद दिखा, रोहिणी इसे ‘पूर्ण रूप से खत्म’ करना चाहती थीं, जबकि तेजस्वी ‘सुधार’ पर अड़े थे। इन छोटी-छोटी बातों से घरेलू बहसें बढ़टी चली गयी। सितंबर 2025 में रोहिणी ने X पर लालू, तेजस्वी, तेज प्रताप और मीसा भारती को अनफॉलो कर दिया, और संजय यादव को ‘जयचंद’ बताया।
तेजस्वी, जो पार्टी को ‘आधुनिक और प्रोफेशनल’ बनाना चाहते हैं, ने इसे ‘परिवारिक मामला’ बताया। लेकिन अंदरूनी सूत्र कहते हैं, रोहिणी को ‘बाहरी महत्वाकांक्षी’ मान लिया गया।
2025 चुनाव में टिकट बंटवारे की आग से पूरा परिवार घिर गया। चुनावी तैयारी के दौरान टिकट वितरण पर सीधी टक्कर हुई। रोहिणी चाहती थीं कि उनके भरोसेमंद – खासकर दलित-मुस्लिम बेल्ट के स्थानीय नेतााओं को मौका मिले। लेकिन तेजस्वी की रणनीति ‘वोट ट्रांसफर’ पर आधारित थी यानी यादव-मुस्लिम को मजबूत करना। बैठकों में माहौल गर्म हो गया। रोहिणी ने कहा, “मुझे सिर्फ बहन बनकर चुप रहने को कहा जाता है, लेकिन जब जनता की आवाज उठाती हूं तो बगावत।” तेजस्वी के करीबी संजय यादव (RJD सांसद) और रमीज यानी तेजस्वी के यूपी वाले दोस्त पर रोहिणी ने ‘मनमानी’ का आरोप लगाया – साथ टिकटों में हस्तक्षेप की भी बात कही।
चुनाव प्रचार में रोहिणी ने तेजस्वी का साथ दिया, लेकिन हार के बाद ब्लेमगेम शुरू हो गया। 15 नवंबर की पारिवारिक बैठक में बहस चरम पर पहुंची गयी। तेजस्वी ने हार की जिम्मेदारी रोहिणी पर डाली। उनके ‘ओवरएक्टिव’ सोशल मीडिया के लिए को लेकर उन्हें ब्लेम किया, तो रोहिणी ने किडनी दान पर अपमान का आरोप लगाया – “गंदी किडनी डाल दी, करोड़ों लिए, टिकट खरीदा। ” माहौल इतना बिगड़ा कि चप्पल उठ गई – रोहिणी के मुताबिक, तेजस्वी के सहयोगियों ने ऐसा किया। लालू-राबड़ी रो पड़े, मीसा भारती ने बीच-बचाव किया।
लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव लंबे समय से ‘मार्जिनलाइज्ड’ महसूस कर रहे हैं। मई 2025 में ‘अनुष्का यादव’ वाले सोशल मीडिया ‘रिलेशनशिप’ कांड पर लालू ने उन्हें पार्टी और परिवार से निकाल दिया। तेज प्रताप ने ‘जनशक्ति जनता दल’ बनाई, रघोपुर से तेजस्वी के खिलाफ उम्मीदवार उतारा, हालाँकि सीटें उन्हें भी नहीं मिली और खुद भी हार का सामना करना पड़ा। और तेजप्रताप भी संजय यादव को ‘जयचंद’ कहते आये है,
रोहिणी के ‘चप्पल’ बयान पर तेज प्रताप भड़क उठे: “बहन के अपमान ने दिल को आग लगा दी। पिताजी, एक इशारा कीजिए, बिहार की जनता इन जयचंदों को दफन कर देगी।” यह बयान X पर वायरल हो गया। तेजप्रताप ने सुदर्शन चक्र की भी बात कही।
तेज प्रताप की नाराजगी ने परिवार को तीन खेमों में बांट दिया। रोहिणी-तेज प्रताप vs तेजस्वी, बीच में लालू-राबड़ी-मीसा। 16 नवंबर को रोहिणी सिंगापुर लौट गईं। उसके बाद लालू के तीन और बेटियां – राजलक्ष्मी, रागिनी और चंदा – बच्चों समेत पटना हाउस छोड़कर दिल्ली चली गईं। अब घर में सिर्फ लालू, राबड़ी और मीसा बचीं। तेजस्वी सार्वजनिक जीवन से गायब। BJP ने कहा, “जिस परिवार में बहू-बेटियों को चप्पल से पीटा जाता हो, वो बिहार कैसे चलाएंगे?” LJP के चिराग पासवान ने ‘निजी मामला’ कहा, लेकिन JDU के अशोक चौधरी ने इसे ‘RJD का अंत’ बताया।
अब जरा लालू परिवार के प्रमुख विवादकी टाइमलाइन पर नजर दाल लेते है।

यह विवाद RJD को लगातार कमजोर कर रहा है। रोहिणी की ‘मूल विचारधारा’ vs तेजस्वी की ‘मॉडर्न रणनीति’ के बीच असली लड़ाई है। कार्यकर्ता दो खेमों में बंटे: एक रोहिणी-तेज प्रताप के साथ और दूसरे तेजस्वी के साथ। लालू की सेहत खराब, राबड़ी चुप – लेकिन परिवारिक फूट पार्टी के लिए ‘जंगलराज’ से बदतर साबित हो सकती है। विश्लेषक कहते हैं, बिना एकजुटता के 2030 में RJD का सफाया हो सकता है।
कुल मिलाकर, चप्पल सिर्फ सीन था, स्क्रिप्ट तो सालों की महत्वाकांक्षा और विश्वासघात की है। बिहार की जनता देख रही है – क्या लालू परिवार फिर संभलेगा, या ये ‘अंतिम अध्याय’ है? समय बताएगा, लेकिन फिलहाल RJD का ‘फैमिली सर्कस’ राजनीति का सबसे बड़ा ड्रामा बन चुका है।















