रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की रफ्तार तेज, स्टार्टअप्स को मिल रहा बड़ा मौका

नई दिल्ली : भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को तेज रफ्तार देने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास (R&D) बजट का 25% हिस्सा अब उद्योगों और स्टार्टअप के लिए आरक्षित कर दिया है। सरकार और डीआरडीओ मिलकर ऐसी नीतियाँ ला रहे हैं, जिनसे निजी क्षेत्र को अत्याधुनिक रक्षा तकनीक के विकास और उत्पादन में सीधा अवसर मिल सके।

डीआरडीओ ने बताया कि अब 2000 से अधिक कंपनियाँ उसके साथ काम कर रही हैं, जिन्हें विकसित तकनीक बिना किसी शुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। साथ ही वैज्ञानिक उद्योगों को तकनीकी सहायता भी प्रदान कर रहे हैं। डीआरडीओ के पेटेंट भी उद्योगों के लिए नि:शुल्क उपयोग हेतु खुले हैं, जिससे अनुसंधान और नवाचार को मजबूती मिल रही है।

सरकार ने टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड (TDF) के लिए 500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट स्वीकृत किया है। इस योजना के तहत 26 रक्षा तकनीकों का विकास सफलतापूर्वक हो चुका है, जिनमें से दो तकनीकें PSLV मिशन के साथ अंतरिक्ष तक पहुंच चुकी हैं।
डीआरडीओ जल्द ही रक्षा स्टार्टअप्स के लिए नई नीति लागू करने की तैयारी में है, जबकि ‘डेयर टू ड्रीम’ प्रतियोगिता के चार चरण नवाचार को बढ़ावा दे चुके हैं।

उद्योगों के लिए डीआरडीओ की 24 लैब्स की परीक्षण सुविधाएँ भी अब रक्षा परीक्षण पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध हैं। सरकार की मेक इन इंडिया प्रक्रिया के तहत पिछले तीन वर्षों में 70 रक्षा परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।

डीआरडीओ ने हाल के वर्षों में 148 नई अनुसंधान परियोजनाएँ शुरू की हैं और देशभर में 15 इंडस्ट्री-अकादमी केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहाँ 82 टेक्नोलॉजी डोमेन्स में शोध जारी है। तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में विकसित किए जा रहे रक्षा गलियारों को डीआरडीओ ज्ञान साझेदार के रूप में सहयोग प्रदान कर रहा है।

सरकार को उम्मीद है कि इन पहलों से भारत रक्षा निर्माण और तकनीक विकास में विश्व स्तर पर मजबूत स्थान बनाएगा और भविष्य में विदेशी आयात पर निर्भरता कम होगी।

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