शहर में नो हेलमेट नो पेट्रोल के फरमान की उड़ी धज्जियां, सबकुछ कैमरे में हुआ कैद



शहर के अधिकांश पम्प मालिकों शासन के आदेशो का उड़ा रहे हैं माखौल


भास्कर ब्यूरो
महराजगंज। शासन द्वारा सड़क सुरक्षा को लेकर जारी किए गए “नो हेलमेट, नो पेट्रोल” अभियान की जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है। अधिकतर पेट्रोल पंप मालिक इस नियम का पालन करने के बजाय इसे सिर्फ एक औपचारिकता बना चुके हैं। पंपों पर बैनर तो लगाए गए हैं, जिन पर “नो हेलमेट, नो पेट्रोल” का संदेश लिखा हुआ है, लेकिन इनका कोई वास्तविक पालन नहीं हो रहा है। बिना हेलमेट वाले लोग बेखौफ होकर पेट्रोल भरवा रहे हैं, और पंप कर्मचारी भी इसे अनदेखा कर रहे हैं।


दैनिक भास्कर टीम ने शहर के विभिन्न पेट्रोल पंप की पड़ताल की, जिससे पेट्रोल पंप के नजारे कुछ और बयां कर रहे हैं।सिंदुरिया चौराहे पेट्रोल पंप और मुख्यालय स्थित पेट्रोल पंप मालिक धड़ल्ले से बेख़ौफ़ किसी डर के पेट्रोल भरते नजर आएं। किसी भी पेट्रोल पंप पर नो हेलमेट नो पेट्रोल पंप के आदेशो के पालन का करने का जहमत नहीं उठाई जा रही है।


सिंदुरिया, निचलौल, सिसवा नगर, घुघली,परतावल और फरेंदा के संवाददाता के अनुसार उनके क्षेत्रों में भी पंप मालिकों का बीना हेलमेट के पेट्रोल पंप धड़ल्ले से गाड़ियों में पेट्रोल भरते नजर आएं।


गौरतलब है कि शासन का पहल का उद्देश्य सड़क हादसों में कमी लाना और लोगों को हेलमेट पहनने के लिए प्रोत्साहित करना था। लेकिन पेट्रोल पंपों पर नियमों का उल्लंघन इस प्रयास को विफल कर रहा है। पंप मालिक इसे अपनी व्यावसायिक मजबूरी बताते हैं, जबकि नियम लागू करवाने वाली एजेंसियां इस ओर ध्यान देने में असफल रही हैं।


कुछ जागरूक नागरिकों ने इस लापरवाही पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह न केवल प्रशासनिक आदेशों का मखौल उड़ाना है, बल्कि लोगों की जान के साथ खिलवाड़ भी है। उनका कहना है कि अगर पेट्रोल पंपों पर सख्ती से नियम लागू किए जाएं तो लोग हेलमेट पहनने को मजबूर होंगे। बता दे जिले के अधिकांश पेट्रोल पंपों पर यही स्थिति देखने को मिल रही है। कई पंप मालिकों ने बताया कि वे ग्राहकों के दबाव में आकर पेट्रोल दे देते हैं, क्योंकि इससे उनका व्यवसाय प्रभावित होता है। हालांकि, इस तर्क को सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ खारिज करते हैं और इसे गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार मानते हैं। जब तक इस नियम का सख्ती से पालन नहीं कराया जाएगा और पंप मालिकों को इसकी जिम्मेदारी का एहसास नहीं कराया जाएगा, तब तक “नो हेलमेट, नो पेट्रोल” अभियान का उद्देश्य पूरा नहीं हो सकेगा।
जरूरत है कि प्रशासन इस ओर कड़ा रुख अपनाए और लोगों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए ठोस कदम उठाए। साथ ही, पंप मालिकों को भी नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

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