
Lucknow : पॉवर कारपोरेशन द्वारा दिए गए निजीकरण के विकल्प के विरोध में आन्दोलन और तेज किया जायेगा तथा निजीकरण के विरोध में संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लिया जाता।
मेरठ में हुए चिन्तन मंथन शिविर में निजीकरण विकल्प खारिज करने का संकल्प उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने लिया।
मंथन शिविर में मुख्य वक्ता आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने पावर कारपोरेशन के चेयरमैन डॉ.आशीष गोयल द्वारा पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के बाद दिए जाने वाले विकल्पों का विस्तार से विश्लेषण कर उसे खारिज कर दिया।
उन्होंने विकल्प के तीनों बिन्दुओं निजी कंपनी की नौकरी ज्वॉइन कर लें, अन्य निगमों में वापस आ जाएं और स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ले लें, का विश्लेषण करते हुए यह बताया कि तीनों ही विकल्प बिजली कर्मियों के भविष्य को बर्बाद कर देंगे अतः निजीकरण किसी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के महासचिव जितेन्द्र सिंह गुर्जर ने कहा कि चिन्तन मंथन शिविर का मुख्य उद्देश्य अभियंताओं को निजीकरण के विरोध में निर्णायक संघर्ष के लिये प्रशिक्षित करना है।
ऐसे पांच शिविर डिस्कॉम स्तर पर आयोजित किए जाएंगे। अभियन्ता संकल्प लेकर सामने आएं तो उप्र में पॉवर सेक्टर में निजी घरानों को रोकना कोई कठिन काम नहीं है। निजीकरण के विरोध में निर्णायक संघर्ष किया जाएगा।
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