बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीति की नई पटकथा लिख रही मोदी-योगी की जोड़ी

  • महागठबंधन में दरार के बीच मोदी-योगी लहर ने बदल दिया चुनावी समीकरण
  • सुशासन, राष्ट्रवाद और विश्वास के एजेंडे पर बढ़ रहा राजग का ग्राफ
  • नया नैरेटिव गढ़ रहा राजग का ‘डबल इमोशनल कनेक्ट’

Patna : बिहार विधानसभा चुनाव-2025 का दूसरा चरण आते-आते सियासत में एक ही जोड़ी की चर्चा है मोदी और योगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नेतृत्व और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्त प्रशासनिक छवि ने बिहार की राजनीति को नया मोड़ दे दिया है। एक ओर जहां विपक्ष अभी भी जातीय समीकरणों और पुराने नारों में उलझा है, वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने सुशासन, जनसेवा और राष्ट्रवाद के एजेंडे पर जनता का दिल जीतना शुरू कर दिया है। जनता के बीच ‘विकास और विश्वास’ का ऐसा मेल तैयार किया है, जिसने पूरे चुनावी नैरेटिव को बदल दिया है।

राजनीतिक विश्लेषक एवं वरिष्ठ पत्रकार लव कुमार मिश्र का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का यह ‘डबल इमोशनल कनेक्ट’ रणनीतिक रूप से राजग की सबसे बड़ी ताकत बन गया है।

मोदी का विजन-योगी की धार जनता में बना भरोसे का समीकरण

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंच से जब ‘विकसित बिहार, विकसित भारत’ की बात करते हैं, तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उसी मंच से ‘भ्रष्टाचार और अपराधमुक्त व्यवस्था’ की बात जोड़ते हैं। दोनों की जोड़ी जनता को यह संदेश देती है कि भाजपा सिर्फ सत्ता की राजनीति नहीं, बल्कि व्यवस्था सुधार और सेवा भावना की राजनीति करती है। चुनावी पंडितों के मुताबिक, इस बार बिहार में मोदी का राष्ट्रीय विजन और योगी का प्रशासनिक मॉडल मिलकर विपक्ष के जातीय समीकरणों पर भारी पड़ सकते हैं। दरभंगा में मोदी की सभा हो या सासाराम में योगी की हुंकार, हर मंच पर भीड़ का एक ही नारा गूंजा-बिहार में अब बदलाव पक्का है।

विपक्ष की रणनीति ढीली, राजग के नारे में है धार

महागठबंधन अभी तक अपने अंदरूनी मतभेदों और सीट बंटवारे की खींचतान से बाहर नहीं निकल सका है। जबकि नीतीश कुमार के सुशासन मॉडल को फिर से प्रोजेक्ट करते हुए भाजपा ने मोदी और योगी दोनों के नाम से जनता के बीच ‘भरोसे की सरकार’ की अपील शुरू की है। भाजपा की रणनीति है कि मोदी विकास का चेहरा बनें और योगी जनता के मन में सख्त शासन और ईमानदार प्रशासन की छवि को मजबूत करें।

राजनीतिक विश्लेषक चन्द्रमा तिवारी कहते हैं कि मोदी का करिश्मा जनता को जोड़ता है और योगी की ईमानदारी भरोसा जगाती है। बिहार की सियासत में यह जोड़ी एक भावनात्मक लहर पैदा कर रही है।

बिहार में अब सुशासन और स्थिरता है मुद्दा

इस बार के चुनावी समीकरणों में महिलाएं निर्णायक भूमिका में हैं। मोदी सरकार की योजनाएं-उज्जवला, जनधन, आवास, आयुष्मान भारत और नीतीश की स्वच्छ छवि, जीविका दीदी योजना ने गरीब परिवारों को राहत दी है। वहीं, योगी आदित्यनाथ के भाषणों में जब महिलाओं की सुरक्षा और रोजगार की बात होती है, तो सभाओं में जोश देखने लायक होता है। युवाओं के बीच स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया और योगी के नौकरी और अनुशासन वाले बयान चर्चा में हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बार बिहार की जनता जात-पात की राजनीति से आगे बढ़कर सुशासन और स्थिरता के नाम पर मतदान कर सकती है।

मोदी-योगी की जोड़ी गढ़ रही है राष्ट्रीय एकता की नई परिभाषा

भारतभूमि एक है-यह भाव दोनों नेताओं के दिल में बसता है। मोदी जहां विकास, आत्मनिर्भर भारत और विश्व में भारतीय गौरव के प्रतीक हैं, वहीं योगी आदित्यनाथ सुशासन और जनसेवा की मिसाल बन चुके हैं। भले ही वे पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन बिहार की धरती पर उनका संदेश ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के भाव को मजबूत कर रहा है। उनका ‘महंथ स्वरूप’ उन्हें एक धार्मिक और सांस्कृतिक नायक के रूप में स्थापित कर रहा है।

भाजपा का ‘डबल इमोशनल कनेक्ट’ फॉर्मूला दिखा रहा असर

राजनीतिक विश्लेषक बब्बन मिश्र का मानना है कि भाजपा ने मोदी के करिश्मे और योगी के जनाधार को मिलाकर एक ‘डबल इमोशनल कनेक्ट’ तैयार किया है। जहां मोदी का विकास मॉडल मध्यमवर्ग और युवाओं को आकर्षित कर रहा है, वहीं योगी का सख्त कानून-व्यवस्था वाला चेहरा ग्रामीण इलाकों के लोगों और पारंपरिक वोटरों को रिझा रहा है।

महिलाओं के दिल में बस गई मोदी-योगी की जोड़ी

महिलाओं के बीच मोदी सरकार की योजनाएं- उज्जवला, लाडली बहना, आयुष्मान भारत, जनधन और पीएम आवास योजना पहले से ही भरोसे की वजह बनी हैं। योगी के भाषणों में जब मां-बहनों की सुरक्षा और स्वावलंबन की बात होती है, तो सभाओं में तालियों की गड़गड़ाहट से यह साफ झलकता है कि महिलाएं इस जोड़ी को अपने परिवार के रक्षक और सहयोगी के रूप में देख रही हैं।

बिहार का चुनाव अभियान सुरक्षा, सम्मान और आत्मनिर्भरता पर केंद्रित

इस बार का चुनाव सिर्फ वादों का नहीं, बल्कि विश्वास और व्यवस्था का है। जनता अब जंगलराज बनाम सुशासन की बहस से आगे बढ़ चुकी है। आज मुद्दा यह है कि कौन नेता बिहार को सुरक्षित, सम्मानजनक और आत्मनिर्भर बना सकता है। सभाओं में नारे गूंज रहे हैं ‘मोदी का विकास, योगी का विश्वास और नीतीश का साथ, यही है बिहार की आस’।

बिहार की राजनीति में नया स्वर, मोदी-योगी हैं संकल्प

राजनीति के जानकार रंगनाथ, दिनेश पाठक एवं राजन पाण्डेय का कहना है कि बिहार की धरती इस बार जंगलराज बनाम सुशासन के मुकाबले से आगे निकल चुकी है। बिहार की चुनावी राजनीति में इस समय अगर कोई नाम सबसे ज्यादा गूंज रहा है, तो वह है मोदी-योगी की जोड़ी। उससे साफ है कि जनता इस जोड़ी को सिर्फ नेता नहीं, एक संकल्प मान रही है।

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