
जिनेवा : अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने गुरुवार को रूस और बेलारूस को वैश्विक खेलों में पुन: शामिल करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघों को सलाह दी कि वे इन देशों की युवा टीमों और खिलाड़ियों को राष्ट्रीय झंडे और राष्ट्रगान के साथ प्रतिस्पर्धा की अनुमति दें।
आईओसी ने अपने बयान में कहा, “खिलाड़ियों को दुनिया भर में खेल तक पहुंच और राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त होकर प्रतिस्पर्धा करने का मूल अधिकार है।” यह संदेश रूस और इज़राइल दोनों में स्वागत योग्य माना जा रहा है, जहां हाल के समय में खिलाड़ियों को भेदभाव का सामना करना पड़ा है।
यह अपडेटेड रणनीति “ओलंपिक समिट” में तय की गई, जिसकी अध्यक्षता आईओसी प्रमुख किर्स्टी कोवेंट्री ने की। आईओसी ने स्पष्ट किया कि इन सिफारिशों को लागू करने में समय लग सकता है और प्रत्येक खेल संगठन अपने स्तर पर यह तय करेगा कि ‘युवा इवेंट’ की परिभाषा क्या होगी।
आईओसी ने यह भी दोहराया कि रूस को अभी भी किसी अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन की मेजबानी नहीं दी जानी चाहिए, हालांकि खिलाड़ियों की भागीदारी पर नरमी बढ़ाई जा रही है। यह सिफारिश विशेष रूप से डकार 2026 यूथ ओलंपिक गेम्स पर भी लागू होने की बात कही गई है। वर्तमान में रूस की ओलंपिक समिति निलंबित है और वह अपने राष्ट्रीय प्रतीकों के साथ भाग नहीं ले सकती।
फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से रूस की टीमें फुटबॉल, एथलेटिक्स सहित कई खेलों से बाहर हैं। कुछ रूसी और बेलारूसी खिलाड़ी सर्दियों के खेलों में न्यूट्रल स्टेटस के साथ वापसी शुरू कर चुके हैं।
पिछले वर्ष पेरिस ओलंपिक में भी कुछ रूसी और बेलारूसी खिलाड़ी बिना झंडे-गान के न्यूट्रल के रूप में खेले थे, जबकि टीम इवेंट में इन देशों पर प्रतिबंध जारी रहा।
2023 में जब यूरोपीय फुटबॉल संघ (यूएफा) ने रूसी अंडर-17 टीमों की वापसी की कोशिश की थी, तब 12 से अधिक सदस्य देशों के बहिष्कार के कारण उसे नीति वापस लेनी पड़ी थी।














