उरई मेडिकल कॉलेज में लापरवाही की हद: पेट दर्द का इलाज बना ऑपरेशन की तैयारी…इस तरह भागकर बचाई जान

जालौन के उरई राजकीय मेडिकल कालेज में भर्ती एक मरीज के साथ भारी लापरवाही का मामला सामने आया है। जहां मरीज को पेट दर्द और आंतों में सूजन की शिकायत थी, जिसके चलते वह सोमवार को इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज पहुंचा था। डॉक्टर ने प्रारंभिक जांच के बाद उसे भर्ती होने की सलाह दी और बताया कि दवाओं से दो दिन में आराम मिल जाएगा। इसके तहत उसे वार्ड नंबर सात में भर्ती कर लिया गया। लेकिन अचानक डॉक्टरों द्वारा उसे ऑपरेशन थियेटर में ले जाकर ऑपरेशन की तैयारी की जाने लगी। जिससे घबराए मरीज ने लघुशंका का बहाना करते हुए भागकर अपनी जान बचाई।

जानकारी के अनुसार माधौगढ़ कोतवाली क्षेत्र के डिकौली गांव निवासी ब्रजेश चौधरी (30 वर्ष) सोमवार को उरई के राजकीय मेडिकल कालेज पहुंच था। जहां उसने पेट दर्द की का इलाज कराया जहां डॉक्टरों ने आंतों में सूजन की बात कहते हुए उसे वार्ड नम्बर 7 में भर्ती कर लिया। मंगलवार तक ब्रजेश की स्थिति में सुधार भी होने लगा। डॉक्टरों ने उसे बताया कि बुधवार को उसे छुट्टी दे दी जाएगी। लेकिन बुधवार सुबह जो घटना घटी, वह चौंकाने वाली थी। ब्रजेश ने बताया कि सुबह दो वार्ड ब्वाय उसके पास आए और कहा कि उसे कुछ जांच के लिए ले जाया जा रहा है। ब्रजेश को विश्वास में लेकर वे उसे सीधे ऑपरेशन थिएटर में ले गए। वहां पहुंचते ही स्टाफ ने उसे ऑपरेशन के कपड़े पहना दिए और शरीर के कई हिस्सों पर मार्कर से गोले बना दिए।

जब ब्रजेश को यह अहसास हुआ कि उसके साथ कोई ऑपरेशन किया जाने वाला है, तो उसने स्टाफ से सवाल किया कि यह क्या हो रहा है, जबकि उसे कोई गंभीर समस्या नहीं है और डॉक्टरों ने उसे पहले ही जल्द छुट्टी देने की बात कही थी। इस पर वहां मौजूद स्टाफ ने उसे चुप रहने की हिदायत दी और कहा कि ऑपरेशन करना जरूरी है। इससे ब्रजेश घबरा गया।

स्थिति को समझते हुए ब्रजेश ने बहाना बनाया कि उसे लघुशंका लगी है और वह बाहर जाना चाहता है। स्टाफ की अनदेखी का फायदा उठाते हुए वह वहां से तेज़ी से बाहर निकला और सीधे अपने वार्ड में पहुंचे डॉक्टर से संपर्क किया। जब डॉक्टर को पूरी घटना बताई गई, तो उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर गलती है और संभवतः वार्ड ब्वाय से मरीज की पहचान को लेकर भ्रम हो गया था। डॉक्टर ने ब्रजेश को आश्वस्त किया कि उसकी तबीयत ठीक है और उसे किसी ऑपरेशन की आवश्यकता नहीं है। यह केवल एक प्रशासनिक चूक थी, जिसे तुरंत सुधारा गया।
हालांकि, ब्रजेश और उसके परिवार ने इस घटना को लेकर गहरी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि यदि समय रहते वह खुद सजग न होता, तो बिना किसी जरूरत के ऑपरेशन कर दिया जाता, जिससे जान का खतरा भी हो सकता था।

इस घटना ने मेडिकल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मरीजों की पहचान, उनके इलाज की प्रक्रिया और रिकॉर्ड को लेकर लापरवाही का यह मामला अगर समय रहते उजागर न होता, तो बड़ी दुर्घटना घट सकती थी। परिजनों ने मांग की है कि संबंधित स्टाफ के खिलाफ जांच कर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही दोहराई न जाए।

वही सर्जरी विभाग के प्रभारी का कहना की इस की जानकारी नहीं है अगर ऐसा हुए हैं तो मामले की जांच कर कार्रवाई की जायेगी।

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