
- फिल्म नफ़रत के विरुद्ध प्रेम और भाईचारे का संदेश : आशीष त्रिवेदी
लखनऊ । गांधी जयंती पर ‘ज़हर’ फिल्म जारी हो रही है। खास बात ये है कि यह पहली भोजपी (भोजपुरी) फिल्म है जो कला केंद्रित है। यह सामाजिक सौहार्द को सामने लाती है और नफरत घृणा को बढ़ाने वाले बिंदुओं पर चोट करती है। इस फिल्म का पोस्टर जारी किया गया है।
संकल्प, बलिया द्वारा निर्मित भोजपुरी फिल्म ‘ज़हर’ का पोस्टर सीबी सिंह सभागार में रिलीज किया गया। इसका ट्रेलर पहले ही जारी किया जा चुका है। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर यह फिल्म सोशल मीडिया के प्लेटफार्म संकल्प फिल्म प्रोडक्शन के यूट्यूब चैनल पर देखा जा सकता है। फिल्म के निर्माता का दावा है कि यह भोजपुरी की पहली आर्ट फिल्म है।
‘जहर’ के लेखक और निर्देशक आशीष त्रिवेदी है। उन्होंने बताया कि फिल्म नफ़रत के विरुद्ध प्रेम और भाईचारे का संदेश देती है। आज से 40- 50 साल पहले के समाज में जो आपसी प्रेम और भाईचारा था अब वो नहीं है । समाज में ऐसा माहौल बना दिया गया है कि आज हर आदमी एक दूसरे को शक और संदेह की दृष्टि से देख रहा है । यह फिल्म उन कारणों की पड़ताल करती है जिसकी वजह से हमारा समाज टूट रहा है। आशीष त्रिवेदी ने कहा कि इस फिल्म में कोई नायक या नायिका नहीं है बल्कि समाज की परिस्थितियां मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म को संकल्प संस्था बलिया के रंगकर्मियों ने आपसी सहयोग से मिलकर बनाया है।
कार्यक्रम का आयोजन जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कवि व साहित्यकार कौशल किशोर की पहल पर हुआ। फिल्म का पोस्टर जारी करने वालों में नागरिक परिषद के के के शुक्ला, कवि-लेखक शैलेश पंडित, कवयित्री शालिनी श्रीवास्तव, जलदूत नन्द किशोर वर्मा, कवि राजेश श्रेयांस, कवि अचिंत्य त्रिपाठी, एडवोकेट वीरेंद्र त्रिपाठी, युवा आलोचक रोहित यादव व आशीष कुमार भारती, ट्विंकल गुप्ता, रजत, राहुल सिंह, शिवम् कृष्ण , तुषार पाण्डेय सहित अच्छी संख्या में युवा शामिल थे। सभी ने संकल्प संस्था, बलिया तथा आशीष त्रिवेदी को इस रचनात्मक पहल के लिए अपनी शुभकामनाएं दी और इसे आम लोगों तक पहुंचाने की बात कही।
इस दौरान हुई चर्चा में यह बात उभर कर आई कि फिल्म का शीर्षक ही आज के हालात को बयां करता है। हमारे यहां गांव व कस्बों आदि में मिल जुल कर लोग रहते थे। हिन्दू हो या मुसलमान मिलकर अपने तीज़ त्योहार मनाते थे, जीवन-यापन करते थे। यह साझापन ही हमारी संस्कृति रही है। उसे नष्ट किया जा रहा है। अलगाव व नफ़रत का ज़हर फैलाया जा रहा है। यदि यह बढ़ता गया तो भविष्य में कैसा होगा हमारा समाज? ऐसे में इस ज़हर को समझने तथा इसे लेकर लोगों को जागरूक बनाने की जरूरत है। सिनेमा जैसा माध्यम ज्यादा कारगर है। इस दिशा में भोजपुरी जैसी आम लोगों की भाषा में ‘जहर’ फिल्म बनाना स्वागत योग्य है।