
दमोह। सर्द रात में रैन बसेरों के बाहर ठिठुरते मुसाफिरों की फरियाद सुनकर दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर भी भावुक हो गए। रैन बसेरों का औचक निरीक्षण करने पहुंचे कलेक्टर को देखकर एक युवक बिलख-बिलख कर रो पड़ा और अन्य मुसाफिरों ने भी अपनी आप बीती सुनाई। यह देख कलेक्टर ने सभी मुसाफिरों से हाथ जोड़कर माफी मांगी और उन्हें भरोसा दिलाया कि भविष्य में ऐसी व्यवस्था नहीं होगी।
माफी और कार्रवाई का आश्वासन
कलेक्टर ने कहा कि रैन बसेरों में रहने से वंचित करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान कर्मचारियों को निलंबित करने का निर्देश भी दिया गया। साथ ही उन्होंने रैन बसेरों की सुविधाओं को बेहतर बनाने का भरोसा मुसाफिरों को दिया।
लाखों खर्च के बावजूद बंद पड़े रैन बसेरे
दमोह में सर्दी के मौसम में मुसाफिर सड़क पर ठिठुरने को मजबूर हैं। हर महीने लाखों रुपए खर्च होने के बावजूद कई रैन बसेरों में ताले लटके हैं। जिला अस्पताल का रैन बसेरा शराबियों का अड्डा बन गया है, जहां नशेड़ी शराब पीकर रात बिताते हैं।
कर्मचारियों की अव्यवस्था उजागर
औचक निरीक्षण में कलेक्टर ने पाया कि केयर टेकर कर्मचारी रात में मुसाफिरों को बाहर निकालकर ताले लगा देते हैं और घर चले जाते हैं। इस खुलासे से नगर पालिका के अधिकारी भी हैरान रह गए।
कलेक्टर ने खुद जिम्मेदारी ली
सुधीर कोचर ने सरकारी तंत्र की नाकामी स्वीकार करते हुए मुसाफिरों से माफी मांगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि अब हर जरूरतमंद को रैन बसेरों का लाभ मिलेगा और दो ऐसे रैन बसेरों के मामले में भी अफसोस जताया, जिनमें उन्हें कोई मुसाफिर नहीं मिला।













