
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन की धरती से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक सख्त और स्पष्ट संदेश दिया है। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में बोलते हुए उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति को दोहराया और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का हवाला देते हुए कहा कि अब आतंक के अड्डे सुरक्षित नहीं रह गए हैं—भारत इन्हें निशाना बनाने से पीछे नहीं हटेगा।
बैठक चीन के किंगदाओ पोर्ट सिटी में आयोजित की गई थी, जहां रक्षा मंत्री ने आतंकवाद, शांति और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे अहम विषयों पर भारत का दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और परस्पर विश्वास की कमी से जुड़ी हैं और इन समस्याओं की जड़ आतंकवाद, उग्रवाद और कट्टरपंथ है।
आतंक के खिलाफ भारत का निर्णायक रुख
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा,
“भारत आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करता और न ही करेगा। हमने यह सिद्ध किया है कि आतंक के केंद्र चाहे जहां भी हों, उन्हें निशाना बनाने में हमें कोई संकोच नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर इसका जीवंत उदाहरण है।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ ‘रक्षात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक’ नीति अपना रहा है।
पहलगाम हमले का जिक्र: निर्दोषों पर जघन्य वार
रक्षा मंत्री ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इस ओर खींचा। उन्होंने बताया कि:
- 22 अप्रैल 2025 को, ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ नामक आतंकी संगठन ने निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाकर एक वीभत्स हमला किया।
- इस हमले में 26 आम नागरिकों की मौत हुई, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था।
- आतंकियों ने पीड़ितों से उनका धर्म पूछकर गोली मारी, जो इस हमले की नृशंसता को दर्शाता है।
- ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ दरअसल, संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही एक प्रॉक्सी ग्रुप है।
क्षेत्रीय सहयोग और विश्वास की जरूरत पर ज़ोर
SCO की बैठक में राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकवाद केवल किसी एक देश की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए खतरा है। उन्होंने यह भी कहा कि सदस्य देशों को मिलकर कट्टरपंथ और उग्रवाद के खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी संगठन या व्यक्ति को आतंकवाद के लिए समर्थन, पनाह या संसाधन न मिलें।
कूटनीतिक तौर पर रणनीतिक संकेत
राजनाथ सिंह का यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि यह चीन की धरती से दिया गया है, जो खुद पाकिस्तान का करीबी सहयोगी है। भारत ने इस मंच का उपयोग कर स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के मुद्दे पर वह अब चुप नहीं बैठेगा और जहां जरूरत होगी, वहां कार्रवाई से पीछे नहीं हटेगा।